पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। जिले के दाबरीभांठा में रहने वाले 40 आदिवासी परिवारों ने सरकार से पक्की सड़क बनाने गुहार लगाई है. ग्रामीणों का कहना है कि पक्की ही न सही मजबूत (मुरम की) कच्ची सड़क बना दो. आखिर कब तक मरीजों की जान दांव लगाए. बरसात में मरीजों को खाट पर लाद कर ले जाना पड़ता है. कच्ची सड़क के कारण दुपहिया चलाना मुश्किल हो गया है. एंबुलेंस पहुंचना तो दूर की बात है.
दरअसल, देवभोग ब्लॉक के नवीन सूकलीभांठा पंचायत में लगभग 1500 की आबादी निवासरत है. इस आबादी का छोटा सा भाग आश्रित ग्राम दाबरीभांठा में रहता है. गांव में 40 आदिवासी परिवार रहते हैं, जिन्हें पंचायत मुख्यालय तक जाना हो या देवभोग जाने वाली साहसखोल की पक्की सड़क तक पहुंचना हो तो बारिश के दिनों में पैदल ही जाना हो पाता है.
ग्रामीण भुनेश्वर नागेश, तपी नेताम, मदन मांझी ने बताया की गांव के बसने के बाद लगातार नेता व सरपंच केवल आश्वसन देते हैं. सड़क कोई नहीं बनाता. भावुक ग्रामीणों ने बताया कि ऐसा इएलिए होता क्योंकि इस गांव में केवल 180 मतदाता रहते हैं. पंचायत चुनावों में पिछली तीन बार से एक सरपंच को इसी उम्मीद से चुनते आ रहे है कि वो सड़क बनाएगा, पर सरपंच भी दगा दे जाता है. बरसात में सड़क से जूझने के अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नहीं बचा हमारे पास. दो खराब में से एक को चुनना था, जिसमें भी आधा किमी खाट में लादकर मरीज को ले जाना पड़ा.
सड़क खराब होने के कारण रविवार को बुखार से तप रहे 15 वर्षीय जगबंधु नेताम को अस्पताल तक लाने के लिए परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. दादा जयसिंह नेताम ने बताया कि पोते को शुक्रवार से बुखार था. स्थानीय उपचार से ठीक नहीं हुआ. गांव में दुपहिया व चार पहिया बारिश में होने वाले दल दल सड़क के कारण नहीं घुस सकता था.
देवभोग अस्पताल लाने के लिए साहसखोल पक्की सड़क को जोड़ने वाला रास्ता 2 किमी है,जिसमें आधा किमी का ही पेंच दलदल है इसलिए इस रास्ता को चुना. इस दलदल वाले पेंच से मरीज को पार करने खटिया में लादकर पार करना पड़ा, क्योंकि बुखार से तप रहा पोता पैदल नहीं चल सकता था. जयसिंह ने कहा कि पिछले कई वर्षों से ऐसी मुसीबत का सामना करते आ रहे हैं. गर्भवती माताओं को भी ऐसे ही पार कराना पड़ता है.
मनरेगा से स्वीकृत सड़क में मुरम नहीं बिछाया
दाबरिभांठा से पंचायत मुख्यालय को जोड़ने वाली सूकलीभांठा मार्ग पहले पगडंडी था. मनरेगा योजना के तहत 2016 में सड़क बनाने 9 लाख की स्वीकृति मिली थी. पगडंडी को कच्ची सड़क का स्वरूप मिट्टी से चौड़ी कर दिया गया. ऊपर में मुरम बिछाना था, कुछ मात्रा में मुरम सड़क किनारे ढेर किये गए हैं, जिसे आज भी बिछाया नहीं किया गया. इएलिए ढाई किलोमीटर लंबी इस मार्ग पर बारिश हुई तो चलना मुश्किल हो जाता है.
15वें वित्त में अब मुरम बिछाई पर रोक
पूरे ब्लॉक में जीएसबी गुणवत्ता की मुरम कहीं नहीं है. मुरम के नाम पर लाल मिट्टी डाल दिया जाता था. जिससे सड़क कीचड़ से लथपथ हो जाता था. 15वें वित्त के कार्य योजना में मुरम कार्य के प्रपोजल को अफसरों ने मना कर दिया है.
सरपंच दया राम बीसी ने कहा कि कच्ची सड़क से बचाने ग्राम विकास का यही मद ही सहारा था. अब इस काम के लिए कही से पैसे नहीं है. पंचायत मुख्यालय से जोड़ने वाले मार्ग को मैंने ही अपने कार्यकाल में सड़क बनवाया. पूल निर्माण भी किया गया है. बड़े जनप्रतिनिधियों के पास मांग रखी जाती है पर कोई सुध नहीं लेता. मैं अपनी जवाबदारी का निर्वहन पूरी कर रहा हूं.
जनपद सीईओ एमएल मंडावी ने कहा कि कल ही उन मार्गों का जायजा लेता हूं. पंचायत के अलावा अन्य किसी भी योजना से सड़क की कनेक्टिविटी मुख्य सड़क से हो सके, उसके लिए हर संभव प्रयास किये जाएंगे.
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