रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आत्महत्याओं के मामलों पर चिंता व्यक्त की है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि करीब 15 हजार लोगों के आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं, जो चिंता का विषय है. कौशिक ने आरोप लगाया कि राज्य में हर माह करीब 575 लोगों ने आत्महत्या की है. हर 24 घंटे के भीतर 19 लोग आत्महत्या कर रहे हैं. औसतन हर डेढ़ घंटे में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है. उन्होंने कहा कि एक जनवरी 2019 से 28 फरवरी 2020 तक करीब 15 हजार लोगों की आत्महत्या की घटना ने सबको विचलित कर दिया है. इस दौरान 1286 नाबालिगों ने आत्महत्या की है.
कौशिक ने आरोप लगाया कि हर माह 50 और हर दिन औसतन दो नाबालिग आत्महत्या कर रहे हैं. सबसे अधिक रायपुर 164 व दुर्ग में 88, बलरामपुर में 64 नाबालिग ने आत्महत्या की है. नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि कुल 6100 मजदूरों ने आत्महत्या की है. वहीं हर माह करीब करीब 234 मजदूरों ने आत्महत्या कर ली है. हर दिन करीब 7 मजदूरों ने आत्महत्या की है. जो बेहद ही चिंताजनक आंकड़ा है. उन्होंने कहा कि इसी तरह से 1122 बुजुर्गों ने आत्महत्या कर ली है. हर माह 43 तो हर दिन एक बुजुर्ग ने आत्महत्या की है. ये आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
आत्महत्या को विवश किसान
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों की हालत ठीक नहीं है. यह सबको पता है. आर्थिक और मानसिक दबाव के कारण लगातार किसान आत्महत्या को विवश है. किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों के मुताबिक 406 किसानों ने आत्महत्या की है. हर महीने 15 और हर दूसरे दिन एक किसान ने आत्महत्या कर अपने जीवन को समाप्त कर लिया है. किसानों की आत्महत्या के मामले में पहले स्थान पर बिलासपुर 150 और दूसरे स्थान पर बलौदाबाजार में 123 किसानों पर तीसरे स्थान पर सरगुजा में 69 किसानों ने आत्महत्या की है.
अवसाद में हैं शासकीय कर्मी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन 26 माह में करीब 211 शासकीय कर्मियों ने आत्महत्या कर ली है. हर महीने 8 कर्मचारी आत्महत्या को विवश हुए। यह एक बड़ा सवाल है. सबसे अधिक रायपुर, राजनांदगांव और बेमेतरा में शासकीय कर्मियों ने आत्महत्या की है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इन दो साल में ही शासकीय कर्मी हताश और निराश हैं, जिसके कारण वे अवसाद ग्रस्त होते जा रहे हैं.
विम्बडना यह है कि कोरोना काल में जिन शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों ने समर्पित भाव से कार्य किया था, उनकी जायज मांग सरकार नहीं मान रही है. न तो उनकी 14 सूत्रीय मांगों पर ध्यान दिया गया है और न ही केन्द्र के समान 28 प्रतिशत डीए दिया जा रहा है, जिसके कारण कर्मचारी आर्थिक संकट के चलते अवसाद ग्रस्त हैं.
कौशिक ने कहा कि यही कारण है कि हर तीसरे दिन एक शासकीय कर्मी आत्महत्या करने को विवश हैं. नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि प्रदेश में बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए मनोचिकित्सकों से लोगों को मदद मिलनी चाहिए. इसके साथ ही उनके हितों पर उचित फैसले भी लिए जाना चाहिए.
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