इंदौर। विधायक, सांसदों और मंत्रियों को एक से अधिक पेंशन मिलने के नियम में बदलाव को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुजोय पॉल और अनिल वर्मा की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. सरकारों से चार सप्ताह में जवाब भी मांगा है. हाईकोर्ट ने नोटिस कहा कि एक व्यक्ति एक पेंशन व्यवस्था को लागू करने में दिक्कत क्या है ? सरकारें यह साफ करें.

हाईकोर्ट में यह याचिका अधिवक्ता पूर्वा जैन ने दाखिल की है. याचिका में मांग की गई है कि नेताओं को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान आम आदमी से वसूले गए टैक्स से होता है. ऐसे में एक व्यक्ति, एक पेंशन योजना को लागू किया जाना चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया है कि जिन नेताओं ने एक दिन भी सांसद या विधायक का कार्यकाल पूरा किया है, उन्हें भी पेंशन दी जाती है.

एडवोकेट पूर्वा जैन के माध्यम से दायर याचिका में मांग कि गई है कि संविधान के मुताबिक समानता के अधिकार के कानून का पालन हो. जनप्रतिनिधियों की पेंशन के लिए भी शासकीय सेवकों की तरह गाइडलाइन बनाई जाए. कम से कम पांच साल का कार्यकाल अनिवार्य किया जाए. साथ ही वे अंत में जिस पद पर रहें, उसी की पेंशन उन्हें मिले. मंत्री या निगम-मंडल में अन्य सरकारी पदों पर रहते हुए वेतन के साथ पुराने पदों की पेंशन नहीं दी जाए, क्योंकि सरकार ने मार्च 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों की पेंशन ही बंद कर दी है.

याचिका में यह भी मांग की गई है कि एक कमेटी या बोर्ड बनाया जाना चाहिए, जिसके पास देश के सभी विधायकों और सांसदों का डाटा होना चाहिए, ताकि उन्हें एक व्यक्ति एक पेंशन का लाभ दिया जा सके. मध्य प्रदेश की बात करें तो राज्य में एक विधायक का वेतन एक लाख 10 हजार रुपए है. वहीं विधायक की पेंशन करीब 35 हजार रुपए है. इसी तरह सांसद का वेतन करीब ढाई लाख रुपए और पेंशन 25 हजार रुपए है.

ऐसे में अगर कोई विधायक, सांसद भी बन जाता है तो उसे विधायक और सांसद दोनों की पेंशन मिलेंगी. मौजूदा वक्त में कई नेता इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं. मध्य प्रदेश में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत, पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया, सज्जन सिंह वर्मा, विक्रम वर्मा, प्रेमचंद गुड्डू और कांतिलाल भूरिया को यह सुविधा मिल रही है.

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