फीचर स्टोरी। आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को हर मोर्चे पर मजबूत करने की दिशा में राज्य सरकार प्राथमिकता से काम कर रही है. खास बात ये है कि भूपेश सरकार के काम की तारीफ राज्य तो राज्य केंद्र में भी जमकर हो रही है. महज ढाई साल में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार ने केंद्रीय स्तर में कई उपलब्धियाँ हासिल की है. ढेरों उपलब्धियों में राज्य को लघुवनोपज के क्षेत्र में मिली उपलब्धियाँ बेहद अहम रही है.
भूपेश सरकार ने देश को बताया है कि कैसे सही नीति-निर्धारण और साफ नीयत के साथ सरकारें आदिवासियों को आर्थिक तौर पर मजबूत कर सकती है. दरअसल लघुवनोपज के क्षेत्र में भूपेश सरकार ने केंद्र में अपना ’10 का दम’ दिखाया है. पहली बार राज्य के इतिहास में ऐसा हुआ है कि जब एक साथ राज्य को लघुवनोपज के क्षेत्र में 10 राष्ट्रीय पुरस्कार मिला हो.
आइये को बताते हैं राज्य को लघुवनोपज के क्षेत्र में मिले पुरस्कारों के बारे में –
सत्ता परिवर्तन के साथ ही छत्तीसगढ़ में परिवर्तन का दौर शुरू हुआ. लगातार एक के बाद एक कई बड़े फैसले सरकार लेती गई. किसानों का कर्जा माफी, किसानों को 25 सौ रुपये, आदिवासियों को जमीन वापसी, आदिवासी ब्लॉकों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी नौकरी में आदिवासी युवाओं की सीधी भर्ती, तेंदूपत्ता की खरीदी 4 हजार रुपये समर्थन मूल्य शामिल हैं.
खास तौर पर पहली बार देश में किसी राज्य सरकार ने आदिवासियों को आर्थिक तौर सशक्त करने का काम कहीं किया है, तो वह छत्तीसगढ़ है. यह सिर्फ तारीफ में कही जा रही बात नहीं, बल्कि इसके पीछे एक मजबूत आधार है. सभी जानते हैं कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों की जीविका का मुख्य साधन वनोपज ही है. इसलिए सरकार ने छत्तीसगढ़ में कई ऐसे वन आधारित उत्पादों को भी शामिल किया, जो अब तक सरकारी खरीद से बाहर थे. राज्य में अब 52 लघु वनोपज की खरीदी सरकारी दर पर हो रही है. यही नहीं सरकार ने कोरोना संकट के बावजूद रिकॉर्ड खरीदी कर देश में नंबर वन होने का गौरव हासिल किया है. नंबर वन होने का यह सिलसिला लगातार जारी है.
छत्तीसगढ़ आज लघु वनोपज के क्षेत्र में मॉडल स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. राज्य ने कई श्रेणियों में अपनी श्रेष्ठता साबित कर 10 पुरस्कार हासिल किया है. 6 श्रेणियों में तो राज्य को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है.
इनमें राज्य में निर्मित महुआ सेनिटाइजर और ईमली चस्का को नव उत्पाद एवं नवाचार श्रेणी में पुरस्कार मिला है. प्रदेश के 12 वन धन केन्द्रों को 15 राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिले हैं.
भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन संघ मर्यादित (ट्राइफेड) द्वारा तीन श्रेणियों, न्यूनतम समर्थन मूल्य, वन धन तथा विक्रय एवं विपणन के अंतर्गत राज्यों के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए हैं. इनमें छत्तीसगढ़ छह श्रेणियों में पूरे देश में अव्वल रहा है.
वन धन पुरस्कार 2020-21 के तहत छत्तीसगढ़ को लघु वनोपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत सर्वाधिक नए वनोपजों (52) को न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना में शामिल करने, भारत शासन की राशि से सर्वाधिक मूल्य (180.51 करोड़ रुपए) का लघु वनोपज खरीदने, केंद्र एवं राज्य शासन की राशि से सर्वाधिक मूल्य (1173 करोड़ रुपए) के लघु वनोपज की खरीदी तथा वर्ष 2020-21 तक उपलब्ध कराई गयी राशि (127.09 करोड़ रूपए) की अधिकतम उपयोगिता के लिए प्रथम पुरस्कार मिला है.
वन धन योजना के तहत मूल्य संवर्धन के लिए अधिकतम उत्पादों (121) के निर्माण तथा मूल्य संवर्धन कर उत्पादों की अधिकतम बिक्री (4.24 करोड़ रूपए) के लिए भी प्रदेश को पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ है. इसी श्रेणी में सर्वाधिक सर्वेक्षण पूर्ण करने तथा वन धन विकास केंद्र क्लस्टरों के लिए सर्वाधिक प्रशिक्षण हेतु छत्तीसगढ़ को तीसरा पुरस्कार मिला है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने की तारीफ
जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने वनोपजों के प्रसंस्करण कार्य में लगे बस्तर के बकावंड और जगदलपुर के स्वसहायता समूहों के कार्यों की प्रशंसा की. उन्होंने समूह की महिलाओं से चर्चा कर उनकी हौसला अफजाई भी की. मुंडा ने इन महिलाओं से प्रसंस्करण कार्य को और विस्तारित करने कहा जिससे अधिक मात्रा में प्रसंस्कृत सामग्रियों का उत्पादन हो और ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले. उन्होंने इस काम में आने वाली समस्याओं को जनजातीय कार्य मंत्रालय से साझा करने कहा.
आदिवासियों की सुधरी आर्थिक स्थिति
छत्तीसगढ़ की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि देश में सर्वाधिक वनोपज क्रय कर छत्तीसगढ़ राज्य ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. सरकार के इन प्रयासों से वनवासियों की आर्थिक स्थिति सुधरी है. इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है.
‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ ब्रांड अमेज़न पर उपलब्ध
“छत्तीसगढ़ हर्बल्स’’ को एक देशव्यापी ब्रांड के रूप में स्थापित करते हुए यहां के हर्बल उत्पादों का विक्रय पूरे देश में किया जा रहा है. चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में लगभग दस करोड़ रूपए मूल्य के उत्पादों के विक्रय का लक्ष्य रखा गया है. इससे प्रसंस्करण कार्यों में लगे महिला स्व-सहायता समूहों की करीब पांच हजार महिलाएं लाभान्वित होंगी.