राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। जनता की समस्याएं सीधी सत्ता तक पहुंचाने और उनका सटीक समाधान कराने के लिए विधायकों के पास सबसे बेहतर माध्यम उस राज्य की विधानसभा ही होती है, लेकिन मध्य प्रदेश में लोकतंत्र के इस मंदिर के पट खोलने का सिलसिला ही दिनों दिन कम होता जा रहा है. तीस साल पहले तक प्रदेश की विधानसभा का सत्र महीनों तक चला करता था. बैठकें भी महीनों तक चलती थीं. इन बैठकों में जनता के मुददे उठते थे और उनका समाधान भी होता था, लेकिन पहले की तुलना में अब विधानसभा सत्र की अवधि ही 30 फीसदी रह गई है. वहीं विधानसभा की बैठकें भी आधी रह गई हैं.
कोरोना की दूसरी लहर से उबरने के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र सिर्फ चार दिन के लिए आहूत किया गया. इस सत्र में कोरोना काल के साथ उसके बाद बाढ़ से बने हालात जैसे जनता से जुडे़ अहम विषयों पर चर्चा होने और सदन से उनका समाधान होने की उम्मीद थी, लेकिन चार दिन का ये पूरा सत्र महज तीन घंटे भी नहीं चल सका. सदन में कुछ देर हंगामा चला और विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थिगित कर दी गई.
ये हाल 2021 के मानसून सत्र का है, लेकिन पूरे विधानसभा सत्रों की बात की जाए तो धीरे-धीरे सत्र और विधानसभा की बैठकें लगातार छोटी होती जा रही हैं. हम बात नब्बे के दशक की करें तो उस दौरान की सरकार के पांच साल के कार्यकाल में 500 से अधिक दिन तक विधानसभा सत्र बुलाया जाता था. करीब पौने तीन सौ दिन बैठकें चला करती थीं. 1993 से 1998 तक दिग्विजय शासनकाल में 534 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया गया था. और इस दौरान 282 दिन बैठकें हुई थीं.
1998 से 2003 के बीच 517 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया गया और इस दौरान 288 बैठकें हुईं. 2008 से 2013 के बीच सत्र घटकर 265 दिन का रह गया. इस दौरान सिर्फ 167 बैठकें हुईं. 2013 से 2018 के बीच सिर्फ 182 दिन का सत्र बुलाया गया और इस दौरान सिर्फ 135 बैठकें हो सकीं.
2018 में सत्ता परिवर्तन के बाद फिर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई. सवा साल के कार्यकाल में सिर्फ 28 दिन विधानसभा की बैठकें चलीं. इस बीच पांच सत्र बुलाए गए. इसके लिए 49 दिन तय किए गए, लेकिन बैठकें सिर्फ 28 दिन चल सकीं. 2020 में फिर सत्ता परिवर्तन हुआ और तब से लेकर अब तक विधानसभा के कुल चार सत्र हुए. ये सत्र 33 दिन के बुलाए गए, लेकिन सिर्फ 17 दिन ही बैठकें चलीं.
मध्य प्रदेश विधानसभा के सबसे अधिक दिनों तक चलने वाले सत्र
- 1982 के बजट सत्र में 35 दिन चली थीं विधानसभा की बैठकें
- 1986 का बजट सत्र 32 दिन तक लगातार चला.
- 1987 में मार्च से मई तक हुई थीं 33 दिन बैठकें.
- 1988 में लगातारर 40 दिन चला था बजट सत्र.
- 1990 में जून से अगस्त तक 30 दिन चली थीं बैठकें.