रायपुर। सीमेंट कंपनियों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है. सीमेंट कंपनियों ने इस साल जनवरी से करीब 70 रुपये दाम बढ़ाए हैं. इसके खिलाफ जब सरकार ने सख्ती दिखाई. दो फ्रैक्ट्रियों में तालेबंदी की तो कंपनियां केवल 30 रुपये दाम कम करने पर राज़ी हुईं. ये हाल तब है कि जब शनिवार को सीमेंट कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल ने उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव एन बैजेंद्र कुमार से मुलाकात की.
दो कंपनियां सील होने के बाद होश ठिकाने आए कंपनियों के
दरअसल सरकार ने पहले चेतावनी दी लेकिन कार्टेल बनाकर करोड़ों का वारा न्यारा करने वाली कंपनियों ने सरकार की नहीं सुनी. तब सरकार ने दो फ्रैक्ट्रियों में जांच की तो पाया कि दोनों में गड़बड़ियां हैं. शनिवार को सुबह अल्ट्राटेक और एसीसी की दो फैक्ट्रियां सील कर दी गईं. इसके बाद सरकार के पास जब फैक्ट्री के संचालक पहुंचे. पहले मुख्यमंत्री के पास फिर विभाग के प्रमुख सचिव बैजेंद्र कुमार के पास.बैजेंद्र कुमार ने उन्हें साफ कर दिया कि पहले लिखित में वे रेट कम करने का वादा करें तभी बात होगी. इसके बाद कंपनियां प्रति बोरी 30 रुपये दाम करने को राजी हुई हैं.
30 रुपये की राहत नाकाफी- देवजी भाई पटेल
हांलाकि ये राहत जनता के लिए काफी नहीं है. सीमेंट कंपनियों की मनमानी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे बीजेपी विधायक देवजी भाई पटेल ने इस कमी को ऊंट के मुंह में जीरा बताया है. उनका कहना कि सीमेंट को आवश्यक वस्तु अधिनियम में डालकर कार्रवाई करनी चाहिए. दरअसल, सीमेंट कंपनियों को राज्य में पानी, पत्थर सब मिलता है लेकिन उसका कोई लाभ यहां के उपभोक्ता को नहीं होता.
कंपनियों ने कार्टेल बना रखा है. सब मनमाने तरीके से दाम बढ़ाते हैं. जो सीमेंट जनवरी में 200 रुपये की कीमत पर मिल रहा था वो आज 260 से 270 रुपये बोरी मिल रही है. जबकि इस दौरान किसी सामान के दाम में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है.