पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। कहा जाता है भगवान भोलेनाथ की महिमा अपरंपार है. यही वजह है कि शिव जैसा उदार और अद्भुत देवता इस लोक में कोई दूसरा नहीं है. देश में अनेक ऐसे शिवालय और शिवलिंग हैं जो अपनी अलग विशेषताओं के कारण जाने जाते हैं. ऐसा ही एक शिवलिंग छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग होने का दावा किया जाता है. यह एकमात्र ऐसा शिवलिंग जिसकी उंचाई हर साल बढ़ती है. यह शिवलिंग वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विज्ञानियों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.
राजधानी रायपुर से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गरियाबंद जिले के एक छोटे से गांव मरौदा के जंगलों में प्राकृतिक शिवलिंग भूतेश्वर महादेव के नाम से विश्वप्रसिद्ध हैं. दुनियाभर में इसकी ख्याति हर साल बढ़ने वाली इसकी ऊंचाई के लिए फैली हुई है.
अर्धनारीश्वर इस शिवलिंग को भकुर्रा महादेव भी कहा जाता है. भूतेश्वर महादेव के स्थानीय पंडितों और मंदिर समिति के सदस्यों का कहना है कि हर महाशिवरात्रि को इसकी ऊंचाई और मोटाई मापी जाती है.
सदस्यों का कहना है कि हर साल यह शिवलिंग एक इंच से पौन इंच तक बढ़ जाती है. भकुर्रा महादेव के संबंध में कहा जाता है कि कभी यहां हाथी पर बैठकर जमींदार अभिषेक किया करते थे. भूतेश्वर महादेव के बारे में बताते हैं कि हर साल सावन मास में दूर-दराज से कांवड़िये (भक्त) भूतेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करने आते हैं.
गौरतलब है कि भूतेश्वर महादेव की ऊंचाई का उल्लेख 1952 में प्रकाशित कल्याण तीर्थाक के पृष्ठ क्रमांक 408 पर मिलता है, जिस पर इसकी ऊंचाई 35 फीट और व्यास 150 फीट लिखी है. इसके बाद 1978 में इसकी ऊंचाई 40 फीट बताई गई, जबकि 1987 में 55 फीट और 1994 में फिर से थेडोलाइट मशीन से नाप करने पर 62 फीट और उसका व्यास 290 फीट मिला. यह जानकर हैरानी होगी कि वर्तमान में इस शिवलिंग की ऊंचाई 80 फीट बताई जा रही है.
यानी यह कह सकते हैं कि 1952 से लेकर अब तक भूतेश्वर महादेव का कद करीब 45 फीट बढ़ गया है. बताया जाता है कि शिवलिंग पर एक हल्की-सी दरार भी है, जिसे कई लोग इसे अर्धनारीश्वर का प्रतीक भी मानते हैं.
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