रायपुर। कांग्रेस पिछड़ा वर्ग की सिर्फ़ सियासत करती है. पिछड़ा वर्ग को सिर्फ़ वोट बैंक मानती है. राज्य में 27 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण लागू किया, लेकिन सरकार ने अपने ही आदमी से कोर्ट में याचिका लगाकर इस पर रोक लगवा दी. यह बात बीजेपी ओबीसी वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण ने कही.

भाजपा प्रदेश कार्यालय में डॉ. के लक्ष्मण ने प्रदेश महामंत्री नारायण चंदेल और मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सोनी के साथ पत्रकारों से चर्चा की. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 14 फ़ीसदी से बढ़ाकर 27 फ़ीसदी आरक्षण लागू किए जाने की मांग पर मोर्चा खोलेगी. कोर्ट में ये मामला ख़ारिज हो गया है, लेकिन कोर्ट के फ़ैसले को सदन में क़ानून बनाकर लागू करने का प्रावधान भी केंद्र सरकार ने दिया है. छत्तीसगढ़ में हम ओबीसी वर्ग की सहायता से एक बार फिर सरकार में आयेंगे.

उन्होंने कहा कि ओबीसी मोर्चा घर-घर पहुंचेगा. कांग्रेस को बेनक़ाब करेगा. मोर्चा देश भर में आंदोलन चलाएगा. कांग्रेस की भेदभाव की नीति को उजागर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक ओबीसी वर्ग के लिए एतिहासिक निर्णय लिये गये है. 60 सालों तक एक ही पार्टी सरकार में रही. इनमें भी 45 सालों तक एक ही परिवार के लोग सरकार में रहे, लेकिन कभी भी ओबीसी वर्ग के लिये कुछ नहीं किया.

डॉ. लक्ष्मण ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण देने एक अलग आयोग बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन नेहरू ने मना कर दिया था. काका कालेकर कमीशन का गठन हुआ. नेहरू जब तक प्रधानमंत्री थे, सदन में कभी सिफ़ारिशों पर पर चर्चा नहीं हुई. कभी भी पिछड़ा वर्ग आयोग की चर्चा नहीं हुई. गैर कांग्रेसी सरकार आने के बाद देसाई ने मंडल कमीशन का गठन कर प्रक्रिया आगे बढ़ाई. बाद में कांग्रेस सरकार आई, लेकिन मंडल कमीशन की सिफ़ारिश को लागू नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि वीपी सिंह की सरकार आने के बाद मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू किया जा सका. राजीव गांधी ने तब लगातार दो घंटे सदन में आरक्षण के विरोध में बोलते रहे. मोदी ने 2017 में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया. 2004 से 2014 तक यूपीए को समर्थन देने वाले दलों ने आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का प्रयास नहीं किया. ओबीसी जाति में भी वर्गीकरण होना चाहिए. इसके लिए रोहणी कमीशन बनाया गया है, जल्द ही इसकी रिपोर्ट आयेगी.