रायपुर. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार कर हुक्का पानी बंद करने का एक और बड़ा मामला सामने आया था. जिसमें भानुप्रतापपुर के बांसला ग्राम के 12 परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. इस मामले की लिखित शिकायत शासन से करते हुए पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की गई थी. वहीं दूसरी ओर संबंधित परिवारों के सदस्यों से और अन्य ग्रामीणों से संपर्क व समझाइश जारी रखी गई. इन प्रयास और पहल के फलस्वरूप इन 12 परिवारों का बहिष्कार खत्म कराने में बड़ी सफलता मिली.

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि उन्हें पिछले माह जानकारी मिली थी कि भानुप्रतापपुर से 5 किलोमीटर दूर ग्राम बांसला में 12 परिवार जिनमें 100 से अधिक सदस्य है, उन सभी को तीन माह पहले समाज से बहिष्कृत कर दिया गया और उन का हुक्का पानी बंद कर अनेक पाबंदियां लगा दी गई हैं. जिससे उनसे कोई बात भी नही करता और उन्हें रोजी मजदूरी से भी वंचित कर दिया गया है.
बहिष्कृत परिवार के सदस्यों ने बताया था कि बहिष्कार वापसी के लिए उनसे पचास हजार रुपए जुर्माना भी मांगा गया और उनसे दंड स्वरूप बलि के लिए 100 पशुओं मुर्गा, बकरा, भेड़ और सुअर की मांग की गई. इन परिवार आर्थिक परिस्थिति कमजोर हैं और इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थ है. किसी भी व्यक्ति या परिवार का सामाजिक बहिष्कार अनुचित और मानवधिकार का हनन है. देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है.

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा ग्राम बांसला में 12 चक्रधारी परिवार जिनके नाम सन्तू राम चक्रधारी, बाजारू राम, गिरवर राम ,रमेश, रामेश्वर, हारून, घनश्याम, शारदा प्रसाद, परमेश्वर सूरज और संजय चक्रधारी को उनके परिवारों सहित जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल है, 100 से अधिक ग्रामीणों का सामाजिक बहिष्कार कर उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया गया था. डॉ. दिनेश मिश्र ने पीड़ित परिवार के सदस्यों और अन्य ग्रामीणों से संपर्क और समझाइश शुरू किया. लगातार संपर्क में रहे, जिससे इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने में सफल रहे. इन परिवार के सदस्य अब गांव में ही काम पर जाने लगे हैं और खेतों में मजदूरी का कार्य कर रहे है. साथ ही उनके साथ की जा रही अन्य रोकटोक भी हटा दी गई है. 100 से अधिक सदस्यों में से 40 सदस्यों ने काम पर जाना आरंभ कर दिया है. वे अभी भी उन परिवारों के संपर्क में हैं.

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का-पानी बंद करना एक सामाजिक अपराध है. यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक और मानवाधिकारों का हनन है. प्रदेश सरकार को सामाजिक बहिष्कार के संबंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए. ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड़ना से गुजरना न पड़े.