अढ़ाई दिनों की बादशाहत…
सूबे की पुलिस बिरादरी में चल रही चर्चा कहती है कि रायपुर एसएसपी अजय यादव का ट्रांसफर टिकट जल्द कट सकता है. बताते हैं कि उन्हें किसी रेंज का प्रभारी आईजी बनाया जा सकता है. वैसे ट्रांसफर टिकट काटे जाने की पीछे की चर्चाओं में यह भी सुना जा रहा है कि कुछ विरोधी उनके पीछे पड़े हैं. सत्ता के गलियारों में ऊंची पैठ बनाने और जमाने वाले इन माहिर खिलाड़ियों की आंखों में यादव साहब कांटे की तरह चुभ रहे हैं. विरोधियों के दांव के आगे उनकी शराफत भला कहां ठहरेगी. यादव साहब थोड़े कायदे के आदमी हैं, पर खिलाड़ी हल्के नहीं है. पूरी शिद्दत से अपनी पारी खेल रहे हैं. ऊपरी आदेशों का पालन हो या फिर पुलिसिंग के अलावा तमाम तरह के दूसरे प्रबंधन का मसला हो. मजाल है कहीं रंग कमजोर पड़ा हो. इस मामले में उनका कोई सानी नहीं है. कुछ महीने पहले क्राइम कंट्रोल, लाॅ एंड आर्डर, पिपल्स फ्रैंडली जैसे पैरामीटर पर हुए एक सर्वे में देशभर में दूसरे पायदान पर रहे थे. खैर कहा जा रहा है कि साहब अभी कप्तानी पारी और खेलना चाहते हैं, लेकिन लेकिन खेमे की यह टिप्पणी काबिलेगौर है, ” अढ़ाई दिनों की बादशाहत कब तक ”
साहब नाराज !
अब आंकड़े ऐसे पेश होंगे, तो नाराजगी जायज है ! दरअसल पिछले दिनों सीएम ने गौठान और गोबर खरीदी से संबंधित स्व सहायता समूहों की महिलाओं की आय को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई थी. सीएस, एसीएस, एग्रीकल्चर सेक्रेटरी से लेकर सभी आला अधिकारी इस समीक्षा में मौजूद थे. सूत्र बताते हैं कि समितियों से जुड़ी महिलाओं की मासिक आय का हिसाब-किताब हुआ और जब जिलों से आंकड़ा मंगाया गया, तो पता चला कि उनके हिस्से महज सौ रूपये ही आ रहा. जाहिर है देश-दुनिया में जिस गौठान और गोबर धन योजना के आर्थिक माॅडल पर सरकार वाहवाही बटोर रही हो, वहां ऐसे आंकड़ों पर आंखें तो तरेरी ही जाएंगी. मिजाज बिगड़ता देख अधिकारियों ने स्व सहायता समूह की ओर से बनाई जा रही अगरबत्ती, राखी, गुलाल जैसे दूसरे कामों को भी जोड़ा मासिक आय बढ़ाकर करीब साढ़े तीन सौ रुपया बताया. अधिकारियों को लगा होगा, साहब खुश होंगे. तपाक से साहब ने कहा कि, मैंने कलेक्टरों से सुना है कि फलानी महिला ने स्कूटी खरीदी, फलाने ने ये खरीदा. अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए. साहब ने थोड़ी घुड़की दी और कहा, ” आंकड़े ठीक करो”
दोनों हाथ में लड्डू….
दाऊ की सत्ता में बीजेपी के एक दिग्गज नेता की बांछें खिली हुई है. चेहरे की चमक एक सुत भी कम ना हुई. नेता जी अपने बेटे के साथ राजनीतिक गलियारों में खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. कांग्रेस सरकार को पानी पी-पी कर गरियाने वाले चेहरे भी अपने नेता की सरकार के साथ चल रही गलबहियां देखकर अपना दिल जला रहे हैं. करें भी तो क्या करें. दरअसल नेता के रिश्तेदार दाऊ की सरकार में बड़े ओहदेदार हैं. ऐसे में रिश्तों का सम्मान तो करना ही होगा. नेता को लेकर भले ही उनकी अपनी पार्टी में लोग कितना ही कोस लें, लेकिन नेता जी जानते हैं, उनका प्रभाव ही था कि संगठन का खजाना उन्हीं की बदौलत भरता रहा. ऐसे में सारी टिप्पणी को नजरअंदाज कर आगे बढ़ रहे हैं. वैसे भी ऐसा मौका कम ही मिलता है कि विरोधी खेमे में होने के बाद भी इतनी पूछपरख होती हो. इस बीच बीजेपी के एक नेता की टिप्पणी भी बेहद दिलचस्प है. वह बताते हैं कि किसी ने इन तौर तरीकों पर सवाल उठाया था, तो जवाब मिला कि अपनी सरकार में कुछ कर नहीं पाए, अब जब मौका मिल रहा है, तो करने दीजिए भाई. वह भी सोच में पड़ गया कि सरकार में जब सभी दरवाजे खुले थे, तो क्या किसी तरह की कोई कमी रह गई. हाथ में लड्डू तब भी था और अब भी है. खैर शहर में हो रहे करोड़ों के एक जमीन सौदे में नेता पुत्र की भूमिका पर जमकर कसीदे गढ़े जा रहे हैं.
हैप्पी बर्थ सीएम साहब….
भूपेश दाऊ का कल जन्मदिन है. शहर में होर्डिंग-पोस्टर लगाकर जन्मदिन की बधाई देना कोई नहीं बात नहीं है. लेकिन होर्डिंग से पूरे शहर को पाट देना बेहद दिलचस्प है. सीएम के गुजरने वाले सभी संभावित रास्तों में एक इंच भी जगह नहीं बची होगी, जहां प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने में कोई कसर छोड़ी हो. प्रतिबद्धता वैसे भी एक बेहद खतरनाक शब्द है. प्रतिबद्ध व्यक्ति पागलों की तरह होता है. होर्डिंग और पोस्टरों को ही ले लीजिए. बेहिसाब पैसा खर्च किया गया होगा. इस उम्मीद से कि इन रास्तों से गुजरते हुए दाऊ जी की एक नजर उस पर पड़ जाए. इस बेहिसाब खर्च जुटाने की प्रक्रियाओं पर यहां चर्चा करना गैर जरूरी होगा.
वैसे ये सब राजनीति में बेहद जरूरी है. ये साधक का साधन है, लेकिन राजनीति में प्रतिबद्धता देश, काल, परिस्थितियां तय करती हैं. ये प्रतिबद्धताएं समय-समय पर अपनी आस्थायें बदलती हैं. पोस्टरों के कुछ चेहरों को ही ले लें. कल तक किसी और के पोस्टर लगाया करते थे, आज दाऊ जी का लगा रहे हैं. ग्रह-नक्षत्र सब दाऊ जी के साथ खड़े दिखाई पड़ रहे हैं. इसलिए भी शायद पोस्टरों की बाढ़ सी आई गई है. खैर दाऊ जी को मेरी ओर से जन्मदिन की ढेर सारी बधाईयां……..