नई दिल्ली. किसान लंबे समय से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी कड़ी में किसानों के धरने के चलते दिल्ली-यूपी सीमा पर सड़क बंद होने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों पर फिर से सवाल उठाते हुए कहा कि सड़क पर ट्रैफिक को इस तरह रोका नहीं जा सकता है. सरकार को कोई हल निकालना होगा. सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में कई फैसले हैं कि सड़क के रूट इस तरह बंद नहीं हो सकते. कोर्ट ने यह भी कहा कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों पर आवाजाही को नहीं रोका जा सकता.

इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र और यूपी सरकार को दो हफ्ते में हल निकालने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें आपस में सहयोग करें ताकि आम लोग परेशान ना हों. कोर्ट ने सीधे तौर पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि आपको बहुत समय मिल चुका अब कुछ कीजिए. अब सुप्रीम कोर्ट 20 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगी.

यूपी सरकार ने दाखिल किया है हलफनामा
यूपी सरकार ने किसानों के विरोध के कारण सड़कों के अवरुद्ध होने पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इसमें कहा गया है कि सरकार अदालत के आदेशों के तहत सड़कों को जाम करने के घोर अवैध काम पर किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है. प्रदर्शनकारियों में अधिकतर बड़ी उम्र के और वृद्ध किसान हैं.

यूपी सरकार ने कहा है कि गाजियाबाद/यूपी और दिल्ली के बीच महाराजपुर और हिंडन सड़कों के माध्यम से यातायात की सुचारू आवाजाही की अनुमति देने के लिए डायवर्जन बनाया गया है क्योंकि एनएच 24 अभी भी अवरुद्ध है. यूपी सरकार ने कहा है कि जनवरी, मार्च और फिर अप्रैल में किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा एनएच 24 को बार-बार अवरुद्ध किया गया.

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दूसरों के जीवन में बाधा न डालें. कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि प्रदर्शनकारी नीति को स्वीकार नहीं करते तो दूसरों को नुकसान नहीं होना चाहिए. एक गांव बना लें, लेकिन दूसरे लोगों के लिए बाधा न बनें. लोगों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन दूसरों को बाधित नहीं कर सकते. इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा कि इस मुद्दे को हल करने का प्रयास कर कर रहे हैं और दो सप्ताह का समय चाहिए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को और समय दिया था.

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