रायपुर. केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून पारित करने की मांग को दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन देश के अलग-अलग कोने में तीखा होते जा रहा है. 26-27 अगस्त को दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के नौ महीना पूरा होने पर सिंघू बॉर्डर में आयोजित अखिल भारतीय अधिवेशन में इस बात पर जोर दिया गया है कि सभी राज्यों में किसान आंदोलन को तीव्र किया जाएगा. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के राजिम में 28 सितंबर को किसान महापंचायत होगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के किसान नेता शामिल होंगे.
शांतिपूर्ण ऐतिहासिक किसान आंदोलन के नौ महीने पूरे होने पर सिंघू बॉर्डर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में छत्तीसगढ़ से प्रतिनिधी के रूप में शामिल अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव और छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही, जागेश्वर जुगनू चंद्राकर, गोविंद चंद्राकार, पंकज चंद्राकर आदि ने हिस्सा लिया. इन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, डॉ. दर्शन पाल, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर और डॉ. सुनीलम से मिलकर छत्तीसगढ़ के राजिम में होने वाले किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. जिस पर किसान नेताओं ने छत्तीसगढ़ आने की अपनी सहमति दी है.
एक बार फिर भारत से कंपनी राज के खिलाफ हुआ आवाज बुलंद
देश के किसान अलग-अलग राज्यों से राजधानी दिल्ली के लिए निकले हुए थे, जिन्हें 27 नवंबर को दिल्ली सीमाओं जैसे सिंघू-कुंडली, गाजीपुर, टिकरी, शाहजहांपुर में केंद्र सरकार द्वारा रोक दिया गया. जहां पर किसान अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए. इस शांतिपूर्ण ऐतिहासिक किसान आंदोलन के नौ महीने पूरे होने पर सिंघू बॉर्डर में दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया गया. जिसमें छत्तीसगढ़ के तेजराम विद्रोही बेलटुकरी राजिम, जागेश्वर जुगनू चंद्राकर बाकमा महासमुंद, गोविंद चंद्राकार मोखा महासमुंद, पंकज चंद्राकर पीढ़ी महासमुंद सहित देश भर से किसान, मजदूर व नागरिक संगठनों के 3000 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
छत्तीसगढ़ में किसान आंदोलन को मजबूत करने होगी महापंचायत
तीसरे सत्र में सिंघू बॉर्डर के मुख्य मंच से संबोधित करते हुए छत्तीसगढ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्य और अखिल भारतीय क्रांतिकारीकिसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ में लगातार धरना प्रदर्शन आंदोलन करते आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ में किसान आंदोलन को और मजबूत करने के लिए आगामी 28 सितंबर को छत्तीसगढ़ के राजिम में किसान महापंचायत आयोजित किया जा रहा है. जिसमें दिल्ली किसान आंदोलन के नेतृत्वकारी किसान नेताओं को आमंत्रित किया गया है. साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा रखे गए प्रस्ताव का समर्थन करते हुए सुझाव रखा कि पूरे राज्यों में संयुक्त किसान मोर्चा की इकाइयों को मजबूत किया जाए.
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सार्वजनिक संपत्ति को बेच रही सरकार
तेजराम विद्रोही ने सार्वजनिक संस्थानों जैसे रेलवे, हवाई सेवा, औद्योगिक संस्थानों आदि सरकारी उपक्रमों के लिए किसानों से जमीनें ली गई थी. वर्तमान सरकार उन तमाम सरकारी उपक्रमों को निजीकरण-ठेकाकरण कर बेचा जा रहा है. इस प्रकार जिस प्रयोजन के लिए जमीनें ली गई थी उस उद्देश्य के विरुद्ध कार्य हो रही है. इसलिए ली गई भूमि को किसानों को वापस किया जाए या उन उपक्रमों पर जिनका निजीकरण किया जा रहा है उस पर पूर्व में भूमि धारक किसान या उनके परिवार के सदस्यों को बराबर का हिस्सेदार बनाया जाए. भारतीय अनुसंधान परिषद द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों के शब्दकोश से मोपला विद्रोह के 387 शहीदों के नाम हटाए जाने के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की मांग की. क्योंकि मोपला विद्रोह एक किसान विद्रोह था जो 1921में केरल के मालाबार क्षेत्र के मोपला समुदाय द्वारा किसानों के साम्राज्यवादी और सामंतवादी शोषण के खिलाफ हुआ था. इसलिए हटाए गए 387 शहीदों के नाम वापस जोड़ने की मांग की है.
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