रामकुमार यादव,सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. स्वास्थ्य विभाग ने नसबंदी का टारगेट पूरा करने के लिए सैकड़ों महिलाओं की जान से खिलवाड़ किया है. नर्मदापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दिन में 100 से अधिक महिलाओं की नसबंदी कर दी गई. अधिकारी खुद की जिम्मदारी को दरकिनार कर मितानिनों को जिम्मेदार ठहराने में लगे हैं.

दरसअल मैनपाट विकासखण्ड के नर्मदापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 100 से अधिक महिला हितग्राहियों का सर्जिकल नसबंदी किया गया. इस दौरान नर्मदापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का आलम भी देखने को मिला. महिलाओं को जमीन पर ही लेटा दिया गया. उन्हें सोने तक के लिए बेड नहीं मिला. जब व्यवस्था नहीं थी, तब टारगेट पूरा करने जबरन क्यों महिलाओं की नसबंदी कर दी गई.

स्वास्थ विभाग की गाइडलाइन के अनुसार 1 दिन में 30 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन किया जा सकता है. लेकिन इस बात को दरकिनार कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 7 घंटे में ही 100 से अधिक महिलाओं की नसबंदी कर दी गई. इतना ही नहीं नसबंदी करने के बाद महिलाओं को अव्यवस्थाओं के बीच अस्पताल के फर्श पर ही लेटा दिया गया.

इस मामले में मैनपाट ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) से पूछा गया, तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया कि गलती तो हुई है. ऐसा नहीं होना चाहिए था. इस तरह मितानिनों के द्वारा जबरजस्ती किया गया. तभी इस तरीके की नौबत आई है. लेकिन आगे से ऐसा कभी नहीं किया जाएगा.

परिवार कल्याण योजना के तहत नसबंदी करवाने वाले महिलाओं को 1200 रुपए और पुरषों को 2200 की राशि दी जाती है. साथ ही जो इन हितग्राहियों को प्रेरित कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक लाते हैं, उन्हें इसके एवज प्रति महिला 200 रुपए और प्रति पुरूष 300 रुपए दिए जाते हैं.

बता दें कि ​महिला नसबंदी प्रेगनेंसी को रोकने की यह एक परमानेंट प्रक्रिया है. इसमें फैलोपियन ट्यूब को ब्‍लॉक कर दिया जाता है. जिससे महिला कंसीव नहीं करती है. 40 से 44 साल की महिलाएं नसबंदी अधिक करवाती हैं. इसमें दो तरह से नसबंदी की जाती है. पहला सर्जिकल और दूसरा नॉन सर्जिकल नसबंदी है.

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