शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश के उपचुनाव में बाढ़ और सूखा दो सियासी मुद्दा बनता दिख रहा है. कांग्रेस आने वाले तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव में इसे चुनावी मुद्दा बनाती नजर आएगी. कांग्रेस ने इसको लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. डाटा तैयार किया जा रहा है, बाढ़ और सूखे से कितना नुकसान हुआ है.

दरअसल, प्रदेश में इस बार कई इलाकों में बारिश ने कहर बरपाया. हजारों लोग बेघर हो गए करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया तो, कई इलाके बारिश के लिए तरस गए यानी कहीं बाढ़ के हालात बने तो कहीं बूंद-बूंद के लिए लोग तरस गए. अब आलम ये है कि बाढ़ और सूखे पर सियासत गर्माती दिखाई दे रही है. आने वाले उपचुनाव में कांग्रेस बाढ़ और सूखे को मुद्दा बनाने जा रही है.

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आपको बता दें कि इंदौर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, हरदा, धार, पन्ना, दमोह, कटनी, जबलपुर, सिवनी, छतरपुर, मंडला और बालाघाट सूखे की चपेट में आ गए हैं. इन जिलों में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई है. यदि अगले 1 सप्ताह में यहां अच्छी बारिश नहीं हुई तो इन सभी जिलों को सूखा घोषित करना होगा. इन इलाकों को सिंचाई के अलावा पेयजल का संकट गहरा सकता. जबकि एमपी के भिंड, श्योपुर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, विदिशा में इतनी मूसलाधार बारिश हुई है कि कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हजारों लोग बेघर हो गए. करोड़ों रुपये के पुल-पुलिया ताश के पत्तों की तरह बह गए. बाढ़ और सूखे को मुद्दा बनाने पर बीजेपी ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कांग्रेस ऐसे मुद्दे उठा रही है जो प्रकृतिक आपदा से जुड़े हैं.

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उपचुनाव की तारीखों का एलान नहीं हुआ है, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस ने अपनी सियासी जमावट शुरू कर दी है. नेताओं को जिम्मेदारी भी सौप दी गई. कांग्रेस ने सूखे और बाढ़ को मुद्दे बनाने की पूरी तैयारी कर ली है. अब देखना होगा इससे कांग्रेस को कितना सियासी फायदा होगा.

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