राजनांदगांव। मंत्री अमरजीत सिंह भगत ने आज वर्चुअल मोड में वन धन केन्द्र पानाबरस मोहला से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान और सामुदाय आधारित सुपोषण प्रबंध कार्यक्रम अंतर्गत अतिरिक्त आहार का शुभारंभ किया. मंत्री भगत ने कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत कुपोषण दूर करने में सफलता मिली है. कुपोषण के खिलाफ इस जंग में सामुदाय में उत्साह आया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बच्चों में कुपोषण और महिलाओं में एनीमिया को दूर करने 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया और इसका परिणाम सुखद रहा.

इस अभियान के तहत कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को कुपोषण से लड़ने के लिए जागरूक करना है. कुपोषण को दूर करने यह आवश्यक है कि बच्चों को पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य सुविधाएं, अच्छा वातावरण मिल सके. शासन और प्रशासन लगातार इस दिशा में कार्य करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उन्होंने कहा कि राजनांदगांव जिले के अधिकांश क्षेत्र मुख्य रूप से आदिवासी क्षेत्र है. जहां पर इस योजना का संचालन किया जा रहा है. इसके तहत बच्चों और माताओं को गर्म भोजन अण्डा, गुड़, चना और पौष्टिक आहार दिया जा रहा है. जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं.

शासन-प्रशासन और समुदाय के सहयोग से कुपोषण मुक्ति के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इस अभियान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, एएनएम, सामाजसेवी संस्था और समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. समुदाय द्वारा लोगों को जागरूक करने विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. कुपोषण के खिलाफ अभियान परोपकार एवं सकारात्मक कार्य है. जिले के पिछड़े क्षेत्रों में जहां महिलाओं में एनीमिया खून की कमी पाई जाती है, उन स्थानों पर विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं. जिससे सकारात्मक परिणाम मिलेंगे. कुपोषण को दूर करने में सफलता मिलेगी.

कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने कहा कि आजादी के 75वीं वर्षगांठ में कुपोषण से मुक्ति के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत मानपुर के बाद मोहला और छुईखदान में सघन सुपोषण अभियान एवं समुदाय आधारित सुपोषण प्रबंध कार्यक्रम अंतर्गत अतिरिक्त आहार का शुभारंभ किया गया है. कुपोषण से निपटने के लिए जिले में सघन सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया है. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम समुदाय का कार्यक्रम है. इसमें पंचायतीराज, जनप्रतिनिधि, एनजीओ, यूनीसेफ, एम्स, महावीर सेवा समिति, उद्याचल एवं शांति विजय सेवा समिति, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

संचालक एम्स रायपुर डॉ. नितिन नागरकर ने कहा कि शासन-प्रशासन एवं आम नागरिकों के आपसी सहयोग से कुपोषण को दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बच्चों के कुपोषित होने से अन्य बीमारी होने की संभावना अधिक होती है. माताओं तथा बच्चों को स्वस्थ रखने की जरूरत है. बच्चे स्वस्थ रहेंगे, तो उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि अच्छी होगी. मोहला में सघन सुपोषण अभियान की शुरूआत अन्य जिलों और राज्य के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा.

यूनिसेफ के राज्य प्रमुख जाब जकारिया ने कहा कि मोहला में सामुदायिक आधारित कार्यक्रम का शुभारंभ अच्छी पहल है. यह प्रदेश के लिए एक अच्छा उदाहरण है. देश और प्रदेश के लिए कुपोषण बड़ी चुनौती है. गंभीर कुपोषित बच्चों में मृत्यु दर का खतरा अधिक होता है. इस अभियान के माध्यम से इन बच्चों का चिन्हांकन कर स्वास्थ्य जांच, दवाई की उपलब्धता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराकर कुपोषण को दूर करना है.

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