सुकमा। जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सिलगेर जिसे लाल आतंक का कोर एरिया माना जाता रहा है, लेकिन वहां से एक खूबसूरत तस्वीर निकलकर सामने आई है. सिलगेर में अब लोगों की नाराजगी नहीं दिख रही है. अब वहां के लोग सरकार की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. यहां पर ये जानना बेहद जरूरी है कि ये धुर नक्सल प्रभवित इलाका है. एक समय तक यहां पर नक्सलियों की पैठ हुआ करती थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. लोग यहां सरकारी व्यवस्थाओं का लाभ लेने पहुंच रहे हैं. शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास की यह तस्वीर अपने आप में नक्सलियों के मुंह पर तमाचा है.
सिलगेर इलाके की बदल रही तस्वीर
दरअसल, घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सिलगेर हजारों की संख्या में ग्रामीण उसी रास्ते से जिला प्रशासन के कैम्प तक लाभ लेने पहुंचे हैं. जिस रास्ते से कुछ दिन पहले वो कैम्प का विरोध करने पहुंचे थे. हालांकि उस वक़्त उनके चेहरे पर विरोध करने की मजबूरी साफ झलक रही थी, लेकिन आज हालात बिल्कुल उससे जुदा हैं.
ग्रामीणों का विश्वास शासन-प्रशासन की नीतियों पर सामने आने लगा है और इसकी पूर्ण झलक सुविधा शिविर में हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी से साफ दिखाई देती है. शासन की मंशानुसार कलेक्टर विनीत नंदनवार के निर्देश पर सिलगेर और आसपास के ग्रामीणों के लिए तीन दिवसीय सुविधा कैम्प सारकेगुड़ा में लगाया गया, जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण रोजाना पहुंच रहें हैं.
रोजाना इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीणों के पहुंचने को देखते हुए कलेक्टर विनीत नंदनवार ने इस शिविर को कुछ रोज और संचालित करने के निर्देश दिए हैं. सुविधा शिविर में ग्रामीणों को आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड निर्माण सहित पेंशन पंजीयन आदि का लाभ इस कैम्प में प्रदान किया जा रहा है. इसके लिए एसडीएम, तहसीलदार सहित प्रशासन की पूरी टीम वहां कैम्प किए हुए हैं.
शिविर में सिलगेर के साथ ही पेंटाचिमली, सुरपनगुड़ा गोंदपल्ली ग्राम के ग्रामीण पहुंच रहें हैं. ग्रामीणों को शिविर स्थल तक आवागमन में कोई परेशानी ना हो, इसके लिए प्रशासन ने वाहन की व्यवस्था के साथ ही भोजन आदि की पूरी व्यवस्था की गई है. ग्रामीणों को यह अहसास हुआ है कि कैम्प तो उनके सुरक्षा के लिए ही है.
यह तस्वीर ही बदलते हालातों को बयां करने के लिए काफी है. कुछ रोज पहले यह भीड़ कैम्प का विरोध करने के लिए बाहर आकर एकत्रित हुई थी, समय बीतते गया और तेजी से बदला. ग्रामीणों को यह अहसास हुआ है कि कैम्प तो उनके सुरक्षा के लिए ही है.
सिलगेर कैम्प का सकारात्मक असर धीरे-धीरे आसपास के इलाके में फैलता चला गया. आज वही ग्रामीण पैदल चलकर शासन-प्रशासन के पास भारी तादाद में अपना हक लेने पहुंचे हैं. उन्हें यह अहसास है कि सड़क नहीं बना क्योंकि इलाका नक्सल प्रभावित है, बाकि सुविधा भी उन तक नहीं पहुंच पा रही है. इसका मूल कारण अब उनको समझ मे आने लगा है. शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन हर संभव कोशिश कर रहा है कि ग्रामीणों तक विकास पहुंचे इसके लिए रास्ते तैयार किए जा रहें हैं.
ग्रामीणों का दिल जीतने प्रशासन का प्रयास जारी
कुछ रोज पहले घोर नक्सल क्षेत्र मिनपा गांव के करीब 100 ग्रामीण या यूं कहें कि सारा का सारा गांव ही विकास पर विस्वास जताते हुए कलेक्टर विनीत नंदनवार से मिलने कलेक्टोरेट पहुंचा था. उस समय ग्रामीणों को सभा कक्ष में बैठाकर कलेक्टर ने उनसे चर्चा करके उनके समस्याओं के बारे में जानकारी ली थी. प्रशासन की सहजता देखकर ग्रामीण काफी खुश नजर आए और इसका असर भी दिखा. मिनपा के ग्रामीण के साथ हुई सार्थक चर्चा से आसपास के कई गांवों में शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा. उसी का असर है कि आज नक्सल क्षेत्रों में भय को अपने पैरों तले रौंदकर ग्रामीण विकास के रास्ते मे आगे बढ़ रहें है.
सुविधा शिविर होगा मिल का पत्थर साबित
नक्सल प्रभावित अंदरूनी क्षेत्रो में प्रशासन का यह सुविधा शिविर बदलाव लाने में मिल का पत्थर साबित होगा, जिस तरह से क्रमबद्ध तरीके से सुविधा शिविर प्रशासन द्वारा लगाया जा रहा है. उसमें जो ग्रामीणों की भीड़ उमड़ रही है, इससे यह साफ संकेत है कि आने वाले दिनों में प्रत्येक गांवों में ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं का विस्तार करने प्रशासन के साथ खड़े नजर आएंगे. प्रशासन ने ग्रामीणों को उनकी पहचान पत्र मुहैया कराने की शुरुआत की है.
जिले के अधिकांश दुरुस्त अंचल के क्षेत्रों में संचार माध्यम की व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड सहित अन्य दस्तावेज बनाने में दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि यह सब कार्य इंटरनेट के माध्यम से ही होना है, जिसको देखते हुए प्रशासन ने संचार की उपलब्धता को देखते हुए सूची तैयार करके ग्रामीणों को उनके गांव के समीप ही यह सब दस्तावेज बनाने की सुविधा प्रदान की जा रही है. कलेक्टर विनीत नंदनवार के निर्देश पर बाकायदा ग्रामीणों को शिविर तक लाने के लिए वाहनों का इंतजाम किया जा रहा है.
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