चंडीगढ़। आगामी धान कटाई के मौसम में पराली जलाने के प्रति जीरो टॉलरेंस अपनाने के लिए मुख्य सचिव विनी महाजन ने आदेश जारी कर दिए हैं. उन्होंने 10 रेड कैटगरी के जिलों में विशेष टास्क फोर्स की तैनाती के आदेश दिए हैं. इन जिलों में धान के पिछले सीजन के दौरान पराली जलाने के 4000 से अधिक मामले सामने आए थे.
जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश
मुख्य सचिव विनी महाजन ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए गांव, कलस्टर, तहसील और जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने को भी कहा है. इस मौके पर मुख्य सचिव को बताया गया कि धान के मौजूदा सीजन के लिए गांव स्तर पर 8000 नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं.
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पराली जलाने की रोकथाम के मुद्दे पर बुलाई गई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव विनी महाजन ने पशुपालन विभाग को गोशालाओं में रखे पशुओं के लिए धान की पराली को चारे के तौर पर इस्तेमाल करने के तरीके ढूंढने के लिए कहा. उन्होंने सभी डिप्टी कमिश्नरों को धान की पराली के भंडारण के लिए विस्तृत प्रबंध करने के निर्देश भी दिए.
पराली जलाने में पंजाब के 10 लाल श्रेणी वाले जिले
संगरूर, बठिंडा, फिरोजपुर, मोगा, श्री मुक्तसर साहिब, पटियाला, मानसा, तरनतारन, बरनाला और लुधियाना
इन जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को रोकथाम के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विशेष टास्क फोर्स तैनात करने को कहा है.
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पराली जलाने से होता है भारी प्रदूषण
पराली जलाने से केवल प्रदूषण ही नहीं होता, बल्कि खेत से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, सल्फर, पोटैशियम जैसे पोषक तत्वों का भी ह्रास होता है. इससे जमीन की उर्वरता कम हो जाती है.
PPCB ने तैयार कराया APP
सीएस विनी महाजन ने बताया कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीआरएससी) से एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफार्मों के लिए मोबाइल एप तैयार करवाया है. ये एप 15 सितंबर तक शुरू कर दिया जाएगा. पराली जलाने के मामलों से संबंधित शिकायतें या जानकारी प्राप्त करने के लिए पीपीसीबी द्वारा 15 सितंबर तक व्हाट्सएप कॉल सेंटर भी शुरू कर दिया जाएगा.
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बायोमास पावर प्रोजेक्ट्स में पराली का इस्तेमाल
बैठक के दौरान अधिकारियों ने सीएस को बताया कि 97.5 मेगावाट क्षमता वाले 11 बायोमास पावर प्रोजेक्ट पहले ही शुरू किए जा चुके हैं, जिनमें सालाना 8.8 लाख टन धान की पराली का उपयोग होगा. इसके अलावा जालंधर और फतेहगढ़ साहिब जिलों में 14 मेगावाट के दो बायोमास पावर प्रोजेक्ट भी बनाए जा रहे हैं, जो सालाना 1.2 लाख टन धान की पराली का प्रयोग करेंगे. इसके साथ ही राज्य में 262.58 टीपीडी सीबीजी के 23 सीबीजी प्रोजेक्ट भी प्रगति अधीन हैं, जो सालाना 8.774 लाख टन पराली का निपटारा करेंगे.
पराली जलाने से निकलती है जहरीली गैसें
पराली जलाने से निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और दूसरी जहरीली गैसों से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वहीं इसकी आग में किसानों के लिए सहायक केंचुए समेत अन्य सूक्ष्म जीव भी नष्ट हो जाते हैं. इससे फसलों की पैदावार घटने का अंदेशा रहता है.
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मशीनों से पराली प्रबंधन के सुझाए उपायों से भी दिक्कत
मशीनों से पराली प्रबंधन के लिए जो उपाय सुझाए गए हैं, उनकी अपनी समस्याएं हैं. मशीन से कटाई और बाद में हैप्पी सीडर चलाने में भी तो डीजल का ही प्रयोग होता है, जिससे किसान का खर्च तो बढ़ता ही है, प्रदूषण भी बढ़ता है.