केंद्र सरकार की एजेंसी ने भी माना, बायो डि-कंपोजर का पराली पर सकारात्मक असर हुआ- गोपाल राय
पयार्वरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पिछले साल दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट के कृषि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पराली पर बायो डि-कंपोजर का प्रयोग किया. वैसे तो दिल्ली के अंदर पराली कम पैदा होती है, फिर भी दिल्ली सरकार ने प्रयोग के तौर पर किसानों के खेतों में बायो डि-कंपोजर का छिड़काव किया और उसका काफी सकारात्मक परिणाम आया है. हमने पराली पर बायो डि-कंपोजर के प्रभाव की पूरी रिपोर्ट केंद्रीय एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट कमीशन के सामने प्रस्तुत की थी और मांग की थी कि इसे देश के अन्य राज्यों में भी लागू कराया जाए.
पूरी दिल्ली में छिड़काव के लिए खरखरी नाहर में बनाया जाएगा बायो डि-कंपोजर का घोल- गोपाल राय
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि पिछली बार जब हम दिल्ली में पराली से निजात के लिए बायो डि-कंपोजर के छिड़काव की तैयारी कर रहे थे, तब कई किसानों का यह कहना था कि थोड़ा जल्दी तैयारी करनी चाहिए थी, ताकि गेहूं की बुआई में देर न हो. पिछली बार हमने 5 अक्टूबर से बायो डि-कंपोजर का घोल बनाना शुरू किया था, लेकिन इस बार सरकार ने पहले से ही इसकी तैयारी करने का निर्णय लिया है. हमने निर्णय लिया है कि हम 24 सितंबर को बायो डि-कंपोजर घोल बनाने की तैयारी शुरू कर देंगे. इसकी शुरुआत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा की जाएगी.
पिछली बार हमने खरखरी नाहर स्थित हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के नर्सरी में पूरी दिल्ली के लिए सेंट्रलाइज घोल बनाया था. इस बार भी वहीं पर 24 सितंबर से सेंट्रलाइज घोल बनाना शुरू करेंगे. 29 सितंबर तक हम घोल की मात्रा को दोगुना कर लेंगे और 5 अक्टूबर तक छिड़काव के लिए घोल बनकर तैयार हो जाएगा. 5 अक्टूबर के बाद जहां से भी दिल्ली के अंदर मांग आएगी, हम वहां पर छिड़काव की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. पिछली बार हमने 5 अक्टूबर से घोल बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी, जबकि इस बार 5 अक्टूबर तक घोल बनाकर तैयार कर लेंगे.
25 सदस्यीय तैयारी समिति गांवों में जाकर घोल का छिड़काव करवाने के इच्छुक किसानों से फार्म भरवा रही है- गोपाल राय
इसके लिए हमने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ 25 सदस्यीय तैयारी समिति (मेंबर प्रिपरेशन कमेटी) बनाई है. यह समिति दिल्ली के सभी गांव में जाकर किसानों से एक फॉर्म भरवा रहे हैं. फार्म में किसान कितने एकड़ खेत में छिड़काव करवाना चाहते हैं और कब उनकी फसल कटेगी, यह दोनों रिकॉर्ड शामिल कर रहे हैं. किसान जितने एकड़ खेत में बायो डि-कंपोजर के छिड़काव की मांग और छिड़काव की तारीख फार्म में दर्ज कर रहे हैं, उसी हिसाब से हम उनके खेत में छिड़काव का इंतजाम कर रहे हैं.
पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों की संयुक्त निगरानी में छिड़काव किया जाएगा- गोपाल राय
गोपाल राय ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारियों की तरफ से अभी तक आकलन आया है कि इस बार पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना खेत में छिड़काव करना होगा, इसलिए हम लगभग 4000 एकड़ खेत में छिड़काव की तैयारी शुरू कर दिए हैं, साथ ही अगर और मांग आएगी, तो हम उसके लिए भी तैयारी शुरू करेंगे. दिल्ली के अंदर जितनी भी मांग आएगी, चाहे वह बासमती हो या गैर बासमती हो, सबमें सरकारी की तरफ से निःशुल्क छिड़काव किया जाएगा, बशर्ते कि फसल की हार्वेस्टर से कटाई होनी चाहिए. किसानों को केवल फॉर्म भरना है कि कब तक उनकी फसल की कटाई हो जाएगी और कब उनके खेत में छिड़काव करना है. दिल्ली में खासतौर से नार्थ, वेस्ट और साउथ के अंदर धान की खेती होती है. खरखरी नाहर से ही जहां से मांग आएगी, वहां पर घोल ले जाएंगे और खेत में छिड़काव करेंगे. हम पिछली बार की तरह इस बार भी पूसा इंस्टीट्यूट के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों की संयुक्त निगरानी में यह सारी प्रक्रिया चलाई जाएगी.
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इस बार 4 हजार एकड़ में बायो डि-कंपोजर के छिड़काव पर 50 लाख रुपए खर्च होंगे- गोपाल राय
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि एक एकड़ खेत में छिड़काव के लिए 10 लीटर बायो डि-कंपोजर की जरूरत पड़ती है. 10 लीटर बायो डि-कंपोजर का घोल पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में छिड़काव किया जा सकता है. एक एकड़ खेत के लिए घोल बनाने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किया गया 4 कैप्सूल चाहिए होता है. इसके अलावा 250 ग्राम गुड़ और 150 ग्राम बेसन मिलाते हैं और उसे फिर पकाते हैं. पकाने के बाद 5 दिन तक के लिए इसे भंडार कर लेते हैं. फिर हम उस घोल को दोगुना बना लेते हैं. हम इस पूरे घोल को 5 अक्टूबर तक इसको तैयार कर लेंगे. पिछली बार पूरे दिल्ली के अंदर बायो डि-कंपोजर के छिड़काव में लगभग 25 लाख रुपए का खर्च आया था. इस बार 4 हजार एकड़ खेत में छिड़काव का अनुमान है, इसलिए इस बार इसके छिड़काव में 25 लाख के बजाय 50 लाख रुपए तक का खर्च आएगा. अगर और ज्यादा लोग फॉर्म भरते हैं, तो हम इसकी मात्रा को और बढ़ा देंगे.
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‘केंद्र सरकार तुरंत निर्णय नहीं लेगी, तो दूसरे राज्यों में बायो डि-कंपोजर का छिड़काव करवाने में देर होगी’
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि मैंने सीएम अरविंद केजरीवाल जी के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मिलने के लिए समय मांगा था, लेकिन अभी तक समय नहीं मिला है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि मिलने का जल्द समय मिलेगा. उन्होंने मीडिया के जरिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से निवेदन किया कि अगर अभी तुरंत सरकार निर्णय नहीं लेगी, तो फिर दूसरे राज्यों में इसकी तैयारी करवाना और इसका छिड़काव करवाने में काफी देर हो जाएगी, इसलिए कम-से-कम इस बायो डि-कंपोजर और पराली के मुद्दे को लेकर के तुरंत बैठक बुलाकर निर्णय लेने की जरूरत है, जिससे कि समय रहते बायो डि-कंपोजर का घोल तैयार किया जा सके और समय रहते सभी राज्यों में इसका तंत्र बनाया जा सके, जिससे कि समय रहते किसानों को बुआई के लिए खेत मिल सके.