दिल्ली. सरकार आधार डाटा को सुरक्षित रखने के लाख दावे करती रही हो लेकिन उसके दावों की पोल चंडीगढ़ स्थित एक मीडिया हाउस की रिपोर्टर ने खोल दी. मात्र 500 रुपये में कैसे किसी का भी आधार डाटा हासिल किया जा सकता है इसका खुलासा मीडिया हाउस की रिपोर्टर ने तथ्यों के साथ अपनी रिपोर्ट में किया.

इस घटना के बाद सरकार के दावों की न सिर्फ पोल खुल गई बल्कि आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे सरकारी दावों पर सरकार की काफी किरकिरी हुई. अपने दावों की पोल खुलने से खिसियाए आईडेंटिफिकेशन अथारिटी आफ इंडिया के अधिकारियों ने अब दिल्ली के साइबर सेल में उस रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है जिसने आधार के डाटा लीक की रिपोर्ट को सिलसिलेवार तरीके से खुलासा किया था.

यूआईडीएआई के डिप्टी डायरेक्टर ने इस बारे में दिल्ली पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है. इस बात की पुष्टि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर आलोक कुमार ने भी की है. इस रिपोर्ट में संबंधित मीडिया हाउस, उसकी रिपोर्टर व उन एजेंटों के नाम शामिल हैं जिन्होंने रुपये लेकर आधार का डाटा लीक किया था. यूआईडीएआई मुख्यालय के डिप्टी डायरेक्टर बीएम पटनायक ने धारा 419, 420, 468 और आईटीएक्ट 2000 की धारा 66 के तहत ये मुकदमा दर्ज कराया है. गौरतलब है कि 4 जनवरी को एक मीडिया हाउस ने इस बात का खुलासा किया था कि कैसे मात्र 500 रुपये लेकर एजेंट लागिन आईडी, पासवर्ड, नाम, पता फोन नंबर व फोटो समेत तमाम जानकारियां किसी को भी दे देते हैं. इस घटना के बाद विपक्ष ने सरकार को निशाने पर ले लिया था. गौरतलब है कि लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने इस घटना को विस्तृत रूप से अपनी वेबसाइट पर छापा था.

यूआईडीएआई अधिकारियों के इस कदम के बाद ऐसा लगता है कि उनकी मंशा आधार डाटा को सुरक्षित बनाने की नहीं है. वह अब उन्हीं को निशाना बनाने पर लगे हैं जो उनकी कमियों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करा रहे हैं. इस घटना के बाद ऐसा लगता है कि आधार डाटा की सुरक्षा अभी भी दूर की कौड़ी है क्योंकि इसकी देखरेख करने वाली संस्था की नीयत को देखकर कहीं से भी ऐसा नहीं लगता है.

इस घटना के बाद भारतीय संपादकों की सर्वोच्च संस्था एडीटर्स गिल्ड ने भी सरकार को निशाने पर ले लिया है. उसने यूआईडीएआई के इस कदम की तीखी आलोचना की है.

वहीं कांग्रेस ने भी सरकार के इस कदम को आड़े हाथों लिया है कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा है कि सरकार को जब मीडिया समस्य़ा से अवगत कराने का काम करती है तो वह उसका निस्तारण कराने के बजाय मीडिया के खिलाफ एफआईआर कराकर उसका मुंह बंद करने की कोशिश करती है. ये पूरी तरह तानाशाही है. सरकार के इस कदम के बाद निश्चित तौर पर एक बार फिर से वह विपक्ष औऱ मीडिया के निशाने पर आ गई है.