सत्यपाल राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल इन दिनों बीमारियों का अड्डा बना हुआ है. धरना पर बैठे लोग एक-एक करके कई बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. धरना स्थल में बारिश होते ही तालाब जैसे स्थिति बन जाती है. नाले का गंदा पानी और गंदगी धरना स्थल पर आकर जाम हो जाता है. धरना स्थल पर ही कचरा ट्रांसफर यार्ड बनाया गया है. जहां शहर के कचरा इकट्ठा कर वहां लाया जाता है. गंदगी और बदबू से लोगों का हाल बेहाल है.

सरकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा ने कहा कि यह प्रदेश सरकार का दुर्भाग्य और पीड़ित लोगों की लाचारी है. गंदगी के बीच धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. यहां हालात इतने बिगड़े हुए हैं, आए दिन प्रदर्शनकारी कई तरह की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं. राजधानी रायपुर में कोरोना डेंगू और स्वाइन फ्लू की चपेट में हैं. ऐसे में पूरे शहर का कचरा घटना स्थल लाया जाता है. बदबू और गंदगी से जीना मुहाल है.

 

विजय झा ने कहा धरना स्थल बार-बार बदला जाता है. धरना स्थल के स्थिति इतना ख़राब है कि बारिश में तालाब जैसे हालात हो जाते हैं. नाला नाली के गंदा पानी भर जाता है. ऐसे में बीमारी नहीं फैलेगा तो क्या होगा. कई बार निगम से लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आई है.

ये वही जगह है जहां कांग्रेस पिछले कई साल से BJP कार्यकाल के दौरान धरना प्रदर्शन कर सत्ता प्राप्त की है, लेकिन ये भूल गई है. लोकतंत्र लोकतंत्र में अपनी आवाज़ को रखने के लिए सब स्वतंत्र हैं. जैसे दिल्ली में भोपाल में हर जगह धरना स्थल की व्यवस्था है. वहां समुचित व्यवस्था है, लेकिन छत्तीसगढ़ में धरना स्थल का हाल बेहाल है, बीमारियों का अड्डा बना हुआ है.

ऐसे में बीमारी नहीं फैलेगा तो क्या होगा. पानी का भराव है, देखने वाला कोई नहीं है. गंदगी बदबू से लोग परेशान हैं. कोई सुनने वाला नहीं है, यही कारण है, जिसकी वजह से कई तरह की बीमारियां फैल रही है.

बता दें कि बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर 57 दिनों तक 24 घंटे चले दिवंगत पंचायत शिक्षकों की विधवाएं आंदोलन कर रहीं थीं. इस दौरान लगभग सभी महिलाओं को बीमारी के कारण अस्पताल का सहारा लेना पड़ा था. अभी हाल ही में 31 दिनों से कोरोना योध्दाओं का अनिश्चित कालीन हड़ताल जारी है, जहां बीमारी तेजी से फैल रही है. इसी तरह लोग यहां आ रहे हैं और बीमारी लेकर घर जा रहे हैं.

गौरतलब है कि धरना स्थल में न बिजली है, न पानी है, न बैठने की व्यवस्था है. इतना ही नहीं किसी तरह का शेड भी नहीं बनाया गया है, जिससे प्रदर्शनकारियों में नाराजगी है. हैरानी की बात ये है कि धरना स्थल को कचरा डपिंग यार्ड बना दिया गया है, जिससे शहर भर से जो बीमारी है, वह गंदगी के रूप में बूढा़ तालबा पहुंच रही है, जिससे प्रदर्शनकारी बीमारी के चपेट में आ रहे हैं.

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