रायपुर/बिलासपुर – ई-कोलाई बैक्टिरिया से प्रदूषित पानी पिलाए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने बिलासपुर नगर निगम पर तल्ख टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने निगम से पूछा है कि संविधान के अनुच्छेद 243 w में उल्लेखित उत्तरदायित्वों को पूरा न कर पाने की वजह से क्यों ना निगम को ही भंग कर दिया जाए. कोर्ट ने आयुक्त को महापौर और एमआईसी की सहमति से 16 जनवरी तक शपथपत्र पेश करने का आदेश दिया है.

 

आज हुई सुनवाई के पूर्व 17 नवम्बर 2017 को हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में दिए गए सुझावों पर हुए अमल की रिपोर्ट रायपुर और बिलासपुर नगर निगम को पेश करने का आदेश दिया था. कोर्ट कमिश्नरों के सुझावों पर कोर्ट में दिए गए जवाब में यह पाये जाने पर कि बिलासपुर नगर निगम द्वारा कोर्ट कमिश्नर द्वारा दिये गये अधिकतम सुझावों पर कोई भी कार्य चालू नहीं किया गया है या दिये गये सुझावों पर टिप्पणी ही नही दी है, कोर्ट ने नोटिस जारी किया.

गौरतलब है कि बिलासपुर नगर पालिका निगम ने कोर्ट कमिश्नरों द्वारा नियमित रूप से NABL अनुमोदित लैब से यह कहकर पानी जांच कराना चालू नहीं किया है कि इसमें समय लगेगा. कोर्ट कमिश्नरों द्वारा पानी जांच हेतु प्रयोगशाला में प्रशिक्षित स्टाफ की तत्काल आवश्यकता बताये जाने पर बिलासपुर नगर पालिक निगम ने बताया कि वर्तमान में वहां पानी जांच हेतु कोई प्रयोगशाला कार्यरत नहीं है.  पानी में क्लोरीन मिलाये जाने की विधि के संबंध में कोई भी टिप्पणी नहीं दी गई.  नालियों और नालों के बीच में बिछाई गई पाईप लाईन के सुधार कार्य हेतु कोई रिपोर्ट नहीं बनाई गई है.  पानी टंकियों हेतु सुरक्षा गार्डों की व्यवस्था कराने पर BMC ने बताया कि उनका पम्प आपरेटर ही यह कार्य कर रहा है, सी.सी.टी.वी. लगाने हेतु टेण्डर जारी कर दिया गया है.

रायपुर नगर निगम के लिये प्रमुख अभियंता ने बताया कि कोर्ट कमिश्नर के सुझाव के अनुरूप पानी शुद्धीकरण प्लांट में 20 रिक्त पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति आवश्यक है. शुद्धीकरण प्लांट की प्रयोगशाला में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगा दिये गये है, वहां सुरक्षा के पूरे इंतजाम है. कोर्ट कमिश्नरों के सुझावों के अनुरूप NABL अनुमोदित दुर्ग की शासकीय प्रयोगशाला में पानी के सेम्पल की जांच करवाना चालू कर दिया गया है. भाठागांव ऐनीकट पर मिल रहे नाले पर रू. 5.629 करोड़ की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जाने हेतु कार्यवाही कर ली गई है. इसके अतिरिक्त रायपुर नगर पालिका क्षेत्र से गुजरने वाले नालों जो कि खारून में मिल रहे है, वहां पर सीवरेज एवं सैप्टेज मैनेजमेंट स्कीम के तहत पानी की सफाई हेतु सूडा ने रू. 330.92 करोड़ का प्रशासनिक एवं तकनीकी अनुमोदन दिनांक 28 नवंबर 2017 को दे दिया है.  प्रमुख अभियंता की रिपोर्ट में बताया गया कि नगर पालिका निगम रायपुर क्षेत्रांतर्गत नाली के नीचे स्थित 55.399 किलोमीटर पाइप लाइन में से 50.163 किलोमीटर मुख्य पाईप लाइन नाली के नीचे से शिफ्ट किया जाना प्रस्तावित है इसमें रू. 9.68 करोड़ खर्च आएगा.  2014 से नवम्बर 2017 के मध्य 17.355 किलोमीटर पाईप लाइन नाली के नीचे से शिफ्ट की जा चुकी है. इसके अलावा 6580 घरेलू कनेक्शन शिफ्ट किये जायेंगे.

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 243W के तहत् नगर पालिकाओं की शक्तियों, प्राधिकार और उत्तरदायित्वों की चर्चा की गई है, जिसके तहत कुल 18 बिन्दुओं पर नगर पालिकाओं के उत्तरदायित्व बताये गये हैं जिसके तहत घरेलू प्रयोजनों के तहत स्वच्छ जल प्रदाय करना तथा लोक स्वास्थ्य का ध्यान रखना नगर पालिकाओं का दायित्व है.  वर्ष 2014 में पीलिया से पत्नी की मृत्यु होने उपरांत दीनदयाल उपाध्याय नगर, रायपुर के मुकेश कुमार देवांगन ने एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें हाईकोर्ट ने अधिवक्ता मनोज परांजपे अधिवक्ता अमृतो दास एवं अधिवक्ता सौरभ डांगी की कोर्ट कमिश्नर की समिति नियुक्त कर रायपुर और बिलासपुर नगर निगम में पेयजल स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया था.