नई दिल्ली। उपमुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को बिजनेस वर्ल्ड मैगजीन द्वारा आयोजित डिजिटल इंडिया कॉन्क्लेव में शिरकत की. इस अवसर पर कोरोना के बाद शिक्षा में टेक्नोलॉजी के प्रभाव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी शिक्षा को बेहतर करने का एक अहम टूल है. हम टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षा में वैल्यू एडिशन कर सकते हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी कभी भी क्लास रूम टीचिंग-लर्निंग का रिप्लेसमेंट नहीं बन सकता है. यदि ऐसा होता है, तो आज से कई दशक पहले ही टेक्नोलॉजी में अव्वल विश्व के कई प्रमुख देशों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए जाते और पूरी शिक्षा व्यवस्था डिजिटल माध्यम पर शिफ्ट हो चुकी होती. उन्होंने कहा कि आज जबकि सारे फैक्ट्स गूगल जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं, तो छात्रों को तथ्यों को रटने के लिए प्रेरित करने की बजाए गूगल जैसे प्लेटफॉर्म का बेहतर इस्तेमाल करना सिखाया जाना जरूरी है.
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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एजुकेशन में टेक्नोलॉजी एक टूल की तरह है, न कि क्लासरूम टीचिंग का रिप्लेसमेंट. इसके लिए हमें दुनिया के उन देशों को देखना चाहिए, जो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत से बहुत आगे है. अगर टेक्नोलॉजी, क्लास रूम टीचिंग का रिप्लेसमेंट होता, तो आज से कई दशक पहले ही इन देशों में स्कूल-कॉलेज बंद हो चुके होते और बच्चे घर बैठकर ही एजुकेशन लेते, पर ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी, शिक्षा में वैल्यू एडिशन का काम करता है न कि उसके रिप्लेसमेंट का और अगर ऐसा करना है, तो स्कूल के पूरे कॉन्सेप्ट को नए तरीके से सोचने की ज़रूरत होगी, क्योंकि आज एजुकेशन पीयर लर्निंग, वन-टू-वन लर्निंग, सोशल-इमोशनल लर्निंग आदि जैसी बहुत सी चीजें ऐसी है, जिसका टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन नहीं है.
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गूगल जैसे प्लेटफॉर्म को करिकुलम में शामिल करने पर चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज गूगल जैसी चीजों को हमें अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने की ज़रूरत है. कन्वेंशनल शिक्षा में बच्चे किताबों में मौजूद जानकारी को रटने का काम करते थे. लेकिन गूगल जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर आज एक क्लिक के साथ ही हमें किसी भी विषय में किताबों से हजारों गुणा ज्यादा जानकारी मिल जाती है, तो जरूरत है कि टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर हम बच्चों को उन जानकारियों का प्रयोग करना सिखाएं न कि रटना.
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