गुवाहाटी/अगरतला। असम की विभिन्न जेलों में करीब 114 कैदी, जिनमें ज्यादातर नशे के आदी हैं, HIV पॉजिटिव पाए गए हैं. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. असम के कारागार महानिरीक्षक बरनाली शर्मा ने कहा कि हाल के महीनों में एक महिला सहित 114 लोगों ने ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है. उनके इलाज और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए गए हैं.

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उन्होंने बताया, “स्वास्थ्य अधिकारी उनके रक्त के नमूनों की जांच कर रहे हैं. स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुसार पर्याप्त कदम उठाए गए हैं. हम स्पष्ट कारणों से असम की जेलों में एचआईवी के मामलों के बारे में अधिक जानकारी का खुलासा नहीं करेंगे.

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मध्य असम के नगांव जिले के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि हाल ही में केंद्रीय जेल और नगांव की विशेष जेल में विचाराधीन कैदियों सहित करीब 85 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं.

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अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि ज्यादातर कैदी ड्रग एडिक्ट और इंट्रावेनस ड्रग एब्यूजर्स (आईडीयू) (सिरिंज द्वारा ड्रग्स को स्वयं इंजेक्ट करने वाले लोग) हैं. इन HIV मामलों का हाल के दिनों में पता चला था.

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असम, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें नशीली दवाओं के नशेड़ी और पेडलर, मुख्य रूप से युवा शामिल हैं.

स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि इन बंदियों की रिहाई के बाद भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता उनके परिवार के सदस्यों के संपर्क में रहे और उन्हें आवश्यक सहयोग, सलाह और प्रतिक्रिया दी, ताकि ये लोग अपना इलाज जारी रख सकें और सामान्य जीवन जी सकें।

असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर में एड्स नियंत्रण समितियों के अधिकारियों ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों, खासकर असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड में 15 से 20 साल के बीच के युवाओं में आईडीयू का चलन खतरनाक दर से बढ़ रहा है.

त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के परियोजना निदेशक फणींद्र कुमार मजूमदार ने आईएएनएस को बताया, “आईडीयू या एचआईवी/एड्स की व्यापकता अब एक साधारण स्वास्थ्य समस्या के बजाय एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है. तेजी से बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए हम शिक्षा, सामाजिक शिक्षा और कल्याण, खेल और पुलिस विभाग सहित त्रिपुरा सरकार के 11 विभागों के साथ काम कर रहे हैं.

असम पुलिस ने मई के बाद से अलग-अलग घटनाओं में लगभग 220 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की है और लगभग 2,000 ड्रग पेडलर को गिरफ्तार किया है. असम राइफल्स और सीमा सुरक्षा बल सहित सुरक्षा बलों ने म्यांमार की सीमा से लगे मणिपुर और मिजोरम में भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त किया है.

असम और त्रिपुरा सरकारों ने राज्यों को नशा मुक्त बनाने के लिए नशीले पदार्थो के खिलाफ अभियान चलाया था. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भारत में तस्करी की जाने वाली दवाएं पाकिस्तान और सीमा पार से उत्तर-पूर्वी राज्यों, विशेष रूप से म्यांमार से आती हैं.

नशीली दवाओं के खतरे के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हाल ही में असम के कार्बी आंगलोंग, गोलाघाट, होजई और नागांव जिलों में 170 करोड़ रुपये की जब्त की गई दवाओं को सार्वजनिक रूप से नष्ट कर दिया गया था. जब्त नशीले पदार्थो में मेथामफेटामाइन की गोलियां और विदेशी मूल की सिगरेट शामिल हैं.

मेथेम्फेटामाइन टैबलेट, जिसे आमतौर पर ‘याबा’ या ‘पार्टी टैबलेट’ या ‘डब्ल्यूवाई’ (वल्र्ड इज योर) के रूप में भी जाना जाता है, एक सिंथेटिक दवा है, जिसका दुरुपयोग भारत के अलावा विशेष रूप से बांग्लादेश और पड़ोसी देशों के युवाओं द्वारा नशे के लिए किया जाता है.

अधिकारियों ने कहा कि ड्रग्स, विशेष रूप से अत्यधिक नशे वाली दवा मेथामफेटामाइन में कैफीन भी मिला होता है. इसकी तस्करी अक्सर म्यांमार से, अन्य कंट्राबेंड, हथियार और गोला-बारूद के साथ की जाती है.

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