प्रदीप गुप्ता,कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में इन दिनों उत्पन्न स्थिति से आप सभी वाकिफ होंगे. लेकिन शायद ही इस बात से वाकिफ होंगे कि हिंदुओं के मोहल्ले में मुस्लिमों का मजार है. उस मजार की देखरेख हिंदू ही करते हैं. ऐसा कर वो हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाई चारे का संदेश दे रहे हैं. हालांकि कुछ स्वार्थी तत्वों ने साम्प्रदायिक वातावरण खराब करने के प्रयास किया. बावजूद कवर्धा में हिन्दुओं और मुसलमानों का एक-दूसरे के प्रति व्यवहार बार-बार गवाही दे रहा है कि हमारे भाईचारे का बंधन अटूट हैं.

जी हां, हम यह बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कवर्धा में एक ऐसा वार्ड है, जिनका नाम महबूब शाहदातार है. नाम सुनकर ऐसा लगेगा जैसे पूरी बस्ती मुस्लिमों की हो. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस वार्ड में एक भी मुस्लिम नहीं है. मोहल्ले में सारे के सारे हिन्दू रहते करते हैं. वो आपस में एक-दूसरे का सहयोग करते हैं.

इस वार्ड में महबूब शाहदातार बाबा की मजार है, जो मुसलमानों का आस्था का केंद्र है. इसके कारण से वार्ड नाम महबूब शाहदातार वार्ड है. इस वार्ड में हिंदुओं का सिद्धपीठ माँ गंगाई का मंदिर भी है, लेकिन यहां के हिंदुओं को वार्ड के नाम से आज तक कोई आपत्ति नहीं की है. यही नहीं महबूब शाहदातार मजार में जाकर हिन्दू आशीर्वाद लेने भी पहुंचते हैं.

कुछ दिन पहले कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभागार में शांति समिति की बैठक हुई थी. जिसमें अधिवक्ता अकबर कुरैशी ने कहा कि शहर के गुप्ता मोहल्ले में मुस्लिमों का हजरत महबूब शाहदातार का मजार है, जो बहुत सुरक्षित है, जबकि इस वार्ड में एक भी मुस्लिम नहीं है. धर्मनगरी के नाम से मशहूर कवर्धा शहर के गुप्ता मोहल्लेवासियों ने कभी विरोध नहीं किया है और न ही हिन्दू-मुस्लिम होने की बात कही. उर्स के समय में रात में कार्यक्रम चलता है. उसमें भी हिन्दू-मुस्लिम एक-दूसरे का मदद करते हैं.

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