घाटभर्रा के आदिवासियों के मान और उनकी हानि की चिंता करें नेता प्रतिपक्ष: अमित जोगी
मेरा ‘मान और हानि’ छत्तीसगढ़ की जनता के हाथ में, किसी महाराजा के गुलाम नहीं
‘दाल काली है’ इसलिए तीन में से दो ट्वीट में लिखा “मैं जवाब देना जरुरी नहीं समझता,” फिर भी दिया जवाब ?
‘विकृत मानसिकता’ का प्रमाण देखने अंबिकापुर बहुद्देशीय उमा शाला जाएँ नेता प्रतिपक्ष
रायपुर। सरगुजा में अदानी को लेकर जोगी और नेता-प्रतिपक्ष के बीच में जमकर ठन गई है. अमित जोगी ने टीएस सिंहदेव के मानहानि करने के बयान को लेकर करारा पलटवार किया है. अमित जोगी ने कहा, कि मेरा ‘मान और हानि’ जनता के हाथ में, किसी महाराजा के गुलाम नहीं. एक तरह से जोगी ने लोकतंत्र में राजशाही गुलामी की बात कहकर सरगुजा महाराजा पर तंज भी कहा.
अमित जोगी ने टीएस सिंहदेव को लेकर जारी अपने बयान में कहा है, नेता प्रतिपक्ष मेरे विरुद्ध अवश्य मानहानि का दावा करें, लेकिन साथ ही सरगुजा जिले के घाटभर्रा के 900 आदिवासी परिवारों के मान और उनकी हानि के लिए भी अदानी के विरुद्ध न्यायालय जाएँ तभी छत्तीसगढ़ की जनता यह मानेगी कि उनका और अदानी का कोई व्यापारिक संबंध नहीं है. जोगी ने कहा कि उनका ‘मान और हानि’ छत्तीसगढ़ की जनता के हाथों में है किसी पैलेस के महाराजा के गुलाम नहीं.
जोगी ने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने ट्वीट में मेरे आरोपों को ‘विकृत मानसिकता’ का परिचायक बताया है. मैं उनसे केवल यह पूछता हूँ कि उनके पैलेस और पूर्वजों की मानसिकता को किस श्रेणी का कहा जाना चाहिए जिन्होंने छत्तीसगढ़ के माटीपुत्रों लागुड नजेसीया, बिगुड बनिया और थिथिर उरांव को गरम तेल में डूबो-डूबो कर यातनाएं दी और उन्हें मार डाल. नेताप्रतिपक्ष के पूर्वजों की मानसिकता का उदहारण आज भी इन तीनों शहीदों की अस्थियों के रूप में अंबिकापुर बहुद्देशीय उमा. शाला में मौजूद है. छत्तीसगढ़ के इन तीनों वीर सपूतों के कंकाल आज भी अपनी मुक्ति कि राह देख रहे हैं. जोगी ने कहा, कि मैं नेता-प्रतिपक्ष से निवेदन करूँगा कि ‘विकृत मानसिकता’ का सही अर्थ जानने वो एक बार अवश्य अपने विधानसभा अंबिकापुर के बहुद्देशीय उमा शाला अवश्य जाएँ.
जोगी ने कहा, अगर नेता प्रतिपक्ष को मेरे आरोपों का जवाब देना सुशोभित नहीं लगता तो उन्होंने तीन-तीन ट्वीट क्यों कर दिए ? और तो और अपने तीन ट्वीट में से उन्होंने दो ट्वीट में दो-दो बार सफाई भी दी और यह लिखा कि “मैं जवाब देना जरुरी नहीं समझता”, मतलब साफ़ है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल काली है. जोगी ने कहा, कि नेता प्रतिपक्ष इधर-उधर मुद्दे को न भटकायें. किसी तथाकथित पार्टी के केवल संसोधन वापस करने से आदिवासियों को न्याय नहीं मिलता बल्कि आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने निरंतर कार्य करना होता है जो कि आदिवासी बाहुल्य सरगुजा में नेता-प्रतिपक्ष नहीं कर रहे हैं उल्टा अदानी और मुख्यमंत्री से साझेदारी कर आदिवासियों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं.
आपको बता दे कि अमित जोगी ने सरगुजा में अडानी के खदानों को लेकर नेता-प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव पर आरोपो लगाया था कि वे उन्हें सरंक्षण दे रहे हैं. इसे लेकर सिंहदेव ने अमित जोगी पर मानहानि करने की बात कही है.