भोपाल। मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा सहित तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए जैसे जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे प्रत्याशियों के साथ ही राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज होते जा रही है। सभी चारों सीटों पर कब्जा जमाने के लिए दोनों राजनीतिक दल पूरा दमखम लगा रहे हैं। इन चारों सीटों पर क्या-क्या मुद्दे हैं, कौन किस पर भारी है और जातीय समीकरण क्या कहते हैं वो हम आपको बता रहे हैं। जोबट विधानसभा का समीकरण क्या कहता है। ये जानते हैं-
ये है जोबट का इतिहास
जोबट विधानसभा सीट पर अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें कि 10 चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। जबकि 2 बार बीजेपी और 2 बार सोशलिस्ट पार्टी और एक बार इंदिरा कांग्रेस के खाते में यह सीट गई है। यहां से सर्वाधिक 6 मर्तबा अजमेर सिंह रावत चुनाव जीते हैं वहीं दो बार उनकी बहु सुलोचना रावत ने कांग्रेस की टिकट पर चुनी गईं।
- 1951( मध्य भारत राज्य) – प्रेमसिंह ( सोशलिस्ट पार्टी )
- 1957 – गंगा ( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
- 1962 – रायसिंह ( सोशलिस्ट पार्टी )
- 1967- अजमेरसिंह रावत ( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस )
- 1972– अजमेरसिंह रावत ( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस )
- 1977– अजमेरसिंह रावत ( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस )
- 1980 – अमरसिंह ( इंदिरा कांग्रेस )
- 1985 – अजमेरसिंह रावत ( इंदिरा कांग्रेस)
- 1990 – अजमेरसिंह रावत ( इंदिरा कांग्रेस)
- 1993 – अजमेरसिंह रावत ( इंदिरा कांग्रेस)
- 1998 – सुलोचना रावत ( कांग्रेस)
- 2003 – माधोसिंह डावर ( BJP )
- 2008 – सुलोचना रावत ( कांग्रेस)
- 2013 – माधोसिंह ( बीजेपी )
- 2018 – कलावती भूरिया ( कांग्रेस )
जोबट विधानसभा का भाग्य उसके 2 लाख 75 हजार 205 मतदाता तय करेंगे। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 36 हजार 668 है। वहीं महिला मतदाताओं की संख्या भी पुरुष मतदाताओं के करीब है, यहां 1 लाख 36 हजार 557 महिला मतदाता हैं।
कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया के कोरोना से निधन के बाद जोबट सीट खाली हो गई थी। यह सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। इस सीट से पूर्व मंत्री और कांग्रेस छोड़कर शामिल हुई सुलोचना रावत को बीजेपी ने टिकट दिया है। सुलोचना रावत इस सीट से दो बार निर्वाचित हो चुकी हैं। हालांकि कांग्रेस दमोह उपचुनाव की तर्ज पर यहां भी टिकाउ और बिकाउ की रणनीति के तहत मैदान में उतर गई है। पार्टी ने यहां से महेश पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है।
जातीय समीकरण
जोबट विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां 94 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं, वहीं सामान्य वर्ग के 6 प्रतिशत मतदाता हैं। जो आदिवासी मतदाता हैं उनमें भिलाला समुदाय के 53 प्रतिशत, भील समुदाय के 36 प्रतिशत और पटलिया समुदाय के 5 फीसदी मतदाता है। इस सीट पर जीत की चाबी भिलाला समुदाय के पास है। लिहाजा दोनों ही दल इस समुदाय को अपने पाले में लाने की लगातार कवायद में हैं।
ये हैं चुनौतियां
इस सीट पर ऐसे कई मुद्दे हैं जिनका असर मतदाताओं पर देखने को मिल सकता है। यहां के स्थानीय मुद्दे दोनों दलों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं। ऐसे में दोनों दल मतदाताओं का दिल जीतने की लगातार कवायद कर रहे हैं।
यहां पर स्थानीय स्तर पर रोजगारी की कमी और बेरोजगारी की वजह से हो रहा पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ के लिए अभी भी बड़ी संख्या में लोग तरस रहे हैं। इसके अलावा सड़क, बिजली, पानी जैसे मुद्दे भी राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
बीजेपी और कांग्रेस की रणनीति
आदिवासियों को अपने पाले में लाने के लिए शिवराज सरकार ने जबलपुर में राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह की जयंती पर एक बड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसमें गृहमंत्री अमित शाह ने भी शिरकत की थी। इसी कार्यक्रम में आदिवासियों को लुभाने के लिए कई बड़ी घोषणाएं मंच से की गई, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा में एक संग्रहालय बनाने की बड़ी घोषणा भी शामिल है। शिवराज कैबिनेट ने आदिवासियों के लिए आपका राशन आपके द्वार योजना शुरु की है। जिसके तहत आदिवासियों को उनके घरों तक राशन पहुंचा कर दिया जाएगा।
वहीं कांग्रेस प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को मुद्दा बना रही है। कांग्रेस कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच रही है। फिलहाल जोबट की जंग में किसके सिर पर जीत का सेहरा होगा, ये आने वाले 2 नवंबर को मतगणना के बाद पता चल पाएगा।