लखनऊ. समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री अजमत अली और उनके चचेरे भाई उबैद और घैला गांव के ग्राम प्रधान इकबाल के खिलाफ उत्तर प्रदेश के वजीरगंज में एक जमीन से जुड़े मामले में मामला दर्ज किया गया है. शिकायतकर्ता अमित मेहरोत्रा ने आरोप लगाया कि मंत्री और उनके सहयोगियों ने एक जमीन के नाम पर उनसे 22 लाख रुपये ठगे, जिसका उन्होंने कभी पंजीकरण नहीं कराया.

मेहरोत्रा ने अपनी प्राथमिकी में कहा कि यह सौदा उबैद ने किया था. उबैद ने मेहरोत्रा को बताया कि जमीन पर उनका, इकबाल और अजमत का संयुक्त स्वामित्व है. सौदा तय होने के बाद मेहरोत्रा ने 2010 में अपने वकील मिर्जा मजहर अब्बास और शहाब की मौजूदगी में 22 लाख रुपए दिए. लेकिन इकबाल और अजमत ने समझौते के कागज पर यह कहते हुए हस्ताक्षर नहीं किया कि वे ऐसा तब करेंगे जब मेहरोत्रा पंजीकरण के समय जमीन के लिए शेष राशि का भुगतान करेंगे. एक साल बाद मेहरोत्रा उबैद से मिलने जमीन का रजिस्ट्रेशन अपने नाम करने गए. सौदे को अंतिम रूप देने के लिए वह शेष 10 लाख रुपए अपने साथ ले गए.

यह आरोप लगाया गया था कि उबैद और अन्य लोगों ने टाल-मटोल की रणनीति का सहारा लिया और उन्हें यह कहते हुए 22 लाख रुपए का चेक दिया कि वे जमीन नहीं बेचना चाहते. उन्होंने कहा, “इस बीच, इकबाल को समाजवादी पार्टी की सरकार में राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और जब मैंने रजिस्ट्री पर जोर दिया तो मुझे धमकी दी गई.” मेहरोत्रा ने कहा कि उन्होंने जमीन के बारे में पूछताछ की और ग्रामीणों ने बताया कि उपरोक्त व्यक्तियों ने शहर के विभिन्न इलाकों में जमीन पर कब्जा कर लिया है.

उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे जो चेक दिया, वह बैंक ने स्वीकार नहीं किया.” मेहरोत्रा का कहना है कि वह अब अपने जीवन को लेकर आशंकित हैं और अगर उनके साथ कोई अप्रिय घटना हुई तो शिकायत में नामित लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. अतिरिक्त डीसीपी, पश्चिम क्षेत्र, चिरंजीव नाथ सिन्हा ने कहा कि तीन व्यक्तियों के खिलाफ बेईमानी और आपराधिक धमकी के आरोपों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई और जांच जारी है.