नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने गोवा के एक कॉलेज समारोह में कहा कि बर्गर और पिज्जा खाना दूसरे देशों में ठीक है, लेकिन भारत में सही नहीं है. उत्तरी गोवा में एक नए कॉलेज परिसर के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित एक समारोह में बोलते हुए उन्होंने प्रौद्योगिकी द्वारा परिभाषित और जलवायु परिवर्तन से खतरे वाले युग में प्रकृति के महत्व को रेखांकित किया.

वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं एक विशेष भोजन नहीं बता रहा हूं. भारत में बहुत सारी किस्में हैं. मैं केवल पके हुए भोजन को खाने का सुझाव दे रहा हूं. बासी या फ्रीज किए हुए भोजन को नहीं खाने का सुझाव दे रहा हूं. हमें जैविक स्वदेशी भोजन करना चाहिए. यह बर्गर पिज्जा विदेशों में ठीक हो सकता है, लेकिन हमारे देश के लिए सही नहीं है.

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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अनुभव के आधार पर हमें अच्छे भोजन के कई विकल्प दिए है. हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि हमारी युवा पीढ़ी उनका अनुसरण करे. उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन के युग में प्रकृति को संरक्षित करना अनिवार्य है.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि एक तितली उद्यान नवीनतम आईटी उपकरणों के रूप में महत्वपूर्ण है. हमें प्रगति करनी चाहिए लेकिन बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति, संस्कृति को एक साथ नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. वे सभी चीजें जो प्रकृति और संस्कृति से जुड़ी है, उनसे छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. अतिक्रमण करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है इसलिए यह सब बबार्दी हो रही है.

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उन्होंने कहा कि आप देख रहे हैं कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन हो रहा है, क्योंकि हमने प्रकृति की रक्षा नहीं की है. प्रकृति हम पर अपना प्रकोप दिखा रही है. ये कोई अपवाद नहीं है. हर विकसित देश इसका अनुभव कर रहा है. हमें प्रकृति में वापस जाना चाहिए.

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