भोपाल। मध्य प्रदेश अपना स्थापना दिवस सोमवार को मनाएगा। 1 नवंबर को हमारा मध्यप्रदेश 65 साल का हो जाएगा। इस बार स्थापना दिवस ‘आत्म निर्भर मध्य प्रदेश” (self reliant Madhya Pradesh) थीम मनाया जाएगा। इस अवसर पर राजधानी के लालपरेड ग्राउंड पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन होगा। कार्यक्रम का आयोजन शाम 6:30 बजे से होगा। मुम्बई के मशहूर प्लेबैक सिंगर मोहित चौहान अपनी आर्केस्ट्रा टीम गीतों की प्रस्तुत देंगे। दिल्ली के कोरियोग्राफर मैत्री पहाड़ी के निर्देशन में 275 कलाकार समवेत नृत्य-नाटक की प्रस्तुति देंगे।
कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य रुप से शामिल होंगे। साथ ही सभी जिला मुख्यालयों पर समारोह आयोजित होंगे। इस अवसर पर गीत, डांस, वाद-विवाद प्रतियोगिता, मैराथन दौड़, रैली, प्रभात फेरी जैसे कई कार्यक्रम होंगे।
स्थापना दिवस कार्यक्रम में जन-प्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों, उद्योगपतियों, समाजसेवियों के साथ सभी धर्मगुरुओं, स्वयंसेवी संस्थाओं शासकीय अधिकारी-कर्मचारी को निमंत्रण भेजा गया है। इसके साथ ही जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, लोकतंत्र सेनानियों एवं शहीद सैनिकों के परिवारों को भी आमंत्रित किया गया है।
इस तरह अस्तित्व में आया मध्यप्रदेश
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ इसके बाद सन् 1951-1952 में देश में पहले आम चुनाव कराए गए। इसके कारण संसद एवं विधान मण्डल कार्यशील हुए। प्रशासन की दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया। साल 1956 में राज्यों के पुर्नगठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को नए राज्य के रूप में मध्य प्रदेश का निर्माण हुआ। इस प्रदेश का पुर्नगठन भाषीय आधार पर किया गया था। इसके घटक राज्य मध्य प्रदेश, मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश एवं भोपाल थे। जिनकी अपनी विधान सभाएं थीं। इस राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। इसे पहले मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था।
1 नवंबर 1956 को ही भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चुन लिया गया था। मध्य प्रदेश के गठन के समय कुल जिलों की संख्या 43 थी। आज मध्य प्रदेश में कुल 52 जिले हैं।
पं.रविशंकर शुक्ल बने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
1 नवंबर,1956 को मध्य प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री पं.रविशंकर शुक्ल को बनाया गया था। शुल्क ने रविशंकर शुक्ल ने पहला भाषण लाल परेड ग्राउंड पर दिया था। दरअसल साल 1898 में अमरावती में हुए कांग्रेस के 13वें अधिवेशन में पंडित शुक्ल ने पहली बार अपने शिक्षक के साथ भाग लिया था और उसी के बाद से वे आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए थे।
पहली बार वे 1946 मे आजादी के पहले पुराने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वे नए मध्यप्रदेश के 1956 मे मुख्यमंत्री बने। चार राज्यों के विलय के दौरान चूंकि वे सबसे बड़े राज्य और सबसे सीनियर थे इसलिए नए मध्यप्रदेश के सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि विशंकर शुक्ल मात्र दो माह ही मुख्यमंत्री रह पाए और 31 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया।