नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य को पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर नोटिस जारी किया. बता दें कि यह 2018 में उनके साथ कथित हमले के मामले में दायर किया गया था. विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और 9 अन्य से राजनेताओं को बरी करने वाले पहले के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा है.
अदालत ने उनसे 23 नवंबर को मामले में आगे की सुनवाई में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
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समीक्षा याचिका में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री पर चुनिंदा रूप से भरोसा करते हुए और बिना किसी आधार या औचित्य के विभिन्न अभियुक्त व्यक्तियों के लिए उनकी भूमिका और संलिप्तता के संबंध में अलग-अलग मानदंड लागू करके, अलग-अलग अपराधिक निष्कर्षों पर पहुंचा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि एक सुनियोजित साजिश के तहत आरोपी ने उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, अपमानित किया और आपराधिक रूप से धमकाया, क्योंकि वह टीवी विज्ञापन (आप सरकार के कार्यालय में 3 साल पूरे करने के अवसर पर) जारी करने के अवैध निर्देशों से सहमत नहीं था. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन में और ऐसे विज्ञापनों की दरों के संबंध में अन्य मुद्दे भी शामिल थे.
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11 अगस्त को दिल्ली की एक अदालत ने केजरीवाल, सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के 9 अन्य विधायकों- राजेश ऋषि, नितिन त्यागी, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, संजीव झा, ऋतुराज गोविंद, राजेश गुप्ता, मदन लाल और दिनेश मोहनिया के खिलाफ आरोप हटा दिए. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने हालांकि इस मामले में आप के दो विधायकों अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश पारित किया था. पुलिस ने अंशु प्रकाश की शिकायत पर मामला दर्ज किया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के आवास पर 2018 को 19 और 20 फरवरी की दरमियानी रात में जब उन्हें बैठक के लिए बुलाया गया था, तब आप विधायकों ने उनके साथ हाथापाई की थी.
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जांच के बाद पुलिस ने धारा 186 (एक लोक सेवक को बाधित करना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), 332 (स्वेच्छा से लोक सेवक को उसकी ड्यूटी करने से रोकने के लिए चोट पहुंचाना), 342 (गलत कारावास की सजा) 353 (हमला या लोक सेवक को उसके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के लिए आपराधिक बल), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान), 506 (2), 120 बी (आपराधिक साजिश), 109 (दुष्प्रेरण की सजा यदि दुष्प्रेरित कार्य परिणाम में किया गया है और जहां इसकी सजा के लिए कोई व्यक्त नहीं किया गया है), 114 (अपराध होने पर दुष्प्रेरक उपस्थित होता है), 149 (गैरकानूनी सभा) 34 (सामान्य इरादा) और 36 आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ (आंशिक रूप से कार्य और आंशिक रूप से चूक के कारण होने वाला प्रभाव) ने विभिन्न धाराएं दर्ज कीं.
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इससे पहले अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटनमजिस्ट्रेट समर विशाल ने सभी आरोपियों को अक्टूबर 2018 में इस शर्त पर जमानत दी थी कि वे प्रत्येक को 50,000 रुपये का जमानती बांड जमा करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या मामले में गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.
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