उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम में जगह-जगह आग लगती है, कूड़े जलाए जाते हैं, पार्कों में लोग पत्तियां जला देते हैं. इससे निकलने वाला धुआं वातावरण को खराब करता है. दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, वह सिर्फ दिल्ली वालों का नहीं है. दिल्ली के बाहर से भी आता है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में धान की खेती हुई है. उसका जो डंठल बच जाता है. उसको लोग जला देते हैं. जिससे जो धुआं पैदा होता है, वह दिल्ली में आ कर परेशान करता है. उसी तरह से दिल्ली के आसपास घटनाएं होती हैं, उससे भी यहां पर प्रदूषण बढ़ता है.
गोपाल राय ने कहा कि सरकार इन्हें कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन दिवाली आ रही है. इसमें दीए कम जलते हैं और पटाखे ज्यादा जलते हैं. पटाखे जलने से अच्छा तो लगता है लेकिन इन पटाखों की जलने से जो धुआं पैदा होता है, वह सब वापस सांसों के माध्यम से हमारे अंदर आता है. यह हमारे फेफड़ों और शरीर को नुकसान पहुंचाता है, उससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है. खासतौर पर जो बच्चे और बुजुर्ग हैं, उनके लिए काफी नुकसानदायक होता है. वैज्ञानिकों डॉक्टरों की रिसर्च के मुताबिक पटाखों के धुएं से हमारी जिंदगी पर गहरा असर होता है, इसलिए सभी दिल्लीवासियों से वादा चाहता हूं कि वे इस बार पटाखे नहीं दीए जलाएंगे.
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