रायपुर.मुख्य सचिव अजय सिंह ने आज मंत्रालय में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर काम-काज की समीक्षा की। उन्होंने भू-अर्जन एवं वन क्लियरेंस आदि प्रकरणों का निराकरण कर निर्माणाधीन विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं शीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश दिए ताकि परियोजनाओं के लिए स्वीकृत लागत राशि में वृद्धि नहीं हो। उन्होंने राज्य की फ्लैगशिप सिंचाई योजनाओं-अरपा-भैंसाझार (जिला बिलासपुर) और मोहड़ जलाशय (जिला राजनांदगांव) को भी उसके लिए निर्धारित सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए। बैठक में प्रदेश में सृजित सिंचाई क्षमता, वृहद और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं की स्थिति, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, नाबार्ड पोषित सिंचाई योजनाओं एवं महानदी पर निर्माणाधीन छह औद्योगिक बैराजों की भौतिक प्रगति की समीक्षा की गयी।
बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने प्रस्तुतिकरण के जरिये विभागीय योजनाओं की प्रगति की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में आठ वृहद, 35 मध्यम और 2457 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 651 एनीकट-स्टापडेमों का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जबकि चार वृहद तीन मध्यम और 418 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 157 एनीकट-स्टापडेम निर्माणाधीन हैं। इन योजनाओं से राज्य में दिसम्बर 2017 तक कुल 20 लाख 61 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित हो गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य शासन द्वारा अभियान लक्ष्य भागीरथी के तहत प्रदेश में सिंचाई क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2028 तक उपलब्ध सतही जल से 32 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता प्राप्त करके राज्य में शत-प्रतिशत सिंचाई क्षमता सृजित करने का लक्ष्य है। इस अभियान से पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 में एक लाख एक हजार 795 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजन करने में सफल हुए है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस अभियान की प्रशंसा की गयी और इसे अन्य राज्यों में एक रोल मॉडल के रूप में अपनाने की सलाह दी है।
बैठक में बताया गया कि राज्य में जल का समुचित उपयोग करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई एवं सौर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से सिंचाई की कार्य योजना बनाई गयी है। इसके तहत सूक्ष्म सिंचाई पद्धति के लिए 21 और सौर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति के लिए 26 योजनाओं को बजट में शामिल करके निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है। इस योजना से खरीफ एवं रबी फसलों के साथ-साथ सब्जी तथा दलहन-तिलहन की लाभदायक फसल ली जा सकेगी। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि बिलासपुर जिले की अरपा-भैंसाझार परियोजना राज्य की फ्लैगशिप योजना है इसका निर्माण कार्य प्रगति पर है।राजनांदगांव जिले की मोहड़ जलाशय से डूबान से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए कार्य प्रगति पर है। इस परियोजना से छह गांवों के आठ सौ हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी। बैठक में केलो, खारंग एवं मनियारी सिंचाई परियोजनाओं तथा महानदी पर निर्माणाधीन छह बैराजों-समोदा, शिवरीनारायण, बसंतपुर, मिरौनी, साराडीह, कलमा बैराज की स्थिति की भी समीक्षा की गयी।