नई दिल्ली। द्रोणाचार्य अवार्डी और प्रसिद्ध क्रिकेट कोच तारक सिन्हा का लंबी बीमारी के बाद शनिवार सुबह यहां निधन हो गया. वह 71 वर्ष के थे. भारत और दिल्ली क्रिकेट को कई रत्न देने वाले सोनेट क्रिकेट क्लब की आत्मा तारक सिन्हा कुछ समय से फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे थे. उन्होंने शादी नहीं की थी और उनके परिवार में उनकी बहन और सैकड़ों छात्र हैं. सोनेट क्लब ने एक बयान में कहा कि सोनेट क्लब के संस्थापक तारक सिन्हा का फेफड़ों के कैंसर से दो महीने तक बहादुरी से लड़ने के बाद शनिवार को तड़के 3 बजे स्वर्गवास हो गया. इस दुःखद खबर को भारी मन के साथ साझा करना पड़ रहा है.

अंबिका की सलाह के कारण CM न बन सके जाखड़ का निशाना, टाइटलर की नियुक्ति में सोनी का फीडबैक तो लिया ही होगा

हम उन सभी को धन्यवाद देना चाहते हैं जो इस कठिन समय में उनके साथ रहे और उनके ठीक होने के लिए प्रार्थना की. हम जयपुर और दिल्ली के डॉक्टरों द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना करना चाहते हैं, जिन्होंने उन्हें स्वस्थ करने के लिए अथक प्रयास किए. बयान में आगे कहा गया कि “वह अपनी अंतिम सांस तक अच्छे जज्बे में थे. उन्हें विश्वास था कि वह अभी भी अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं. यह सोनेट क्लब, क्रिकेट बिरादरी और छात्रों के लिए हम सभी के लिए एक भारी दिन है, जिन्होंने हमेशा उन्हें एक अभिभावक के रूप में देखा है.”

भाजपा फिलहाल कहीं नहीं जा रही, मगर राहुल को इस बात का अहसास नहीं : प्रशांत किशोर

‘उस्ताद जी’ के नाम से जाने जाने वाले सिन्हा ने द सोनेट क्लब में पीढ़ियों से क्रिकेटरों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने प्रतिभा की पहचान की और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों में बदल दिया. दिवंगत कोच ने सुरेंद्र खन्ना, रणधीर सिंह, रमन लांबा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा, केपी भास्कर, अतुल वासन, आशीष नेहरा, संजीव शर्मा, आकाश चोपड़ा, शिखर धवन, अंजुम चोपड़ा और ऋषभ पंत जैसे क्रिकेटरों को गाइड किया. वह देश प्रेम आजाद, गुरचरण सिंह, रमाकांत आचरेकर और सुनीता शर्मा के बाद द्रोणाचार्य पुरस्कार पाने वाले पांचवें क्रिकेट कोच थे.