Column By- Ashish Tiwari

हाथियों को भला क्या मालूम, साहब एसपी हैं…

गौरेला पेंड्रा मारवाही जिले के एसपी साहब और उनकी पत्नी की हाथियों के दल को बेहद करीब से देखने की लालसा भारी पड़ गई. हाथी ने सूंड से उठाकर एसपी साहब को पटक दिया. उनकी पत्नी भी घायल हो गईं. गलती एसपी साहब की नहीं थी, हाथी की थी, जो उन्हें पहचान नहीं पाया. कहते हैं हाथी की मेमेारी पांच सौ साल की होती है, लेकिन इस हाथी से चूक हो गई. अब चूंकि हाथी ने पहचाना नहीं, तो प्रारंभिक गलती हाथी की थी, शायद यही वजह है कि एसपी साहब पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई. अलबत्ता कोई दूसरा होता तो झट से एफआईआर दर्ज हो चुकी होती. महकमे के मंत्री ने भी कुछ अरसा पहले ही कहा था कि जंगल में हाथी के साथ सेल्फी लेने से लोगों की मौत हो रही है. ऐसे लोगों के खिलाफ अब कार्रवाई होगी. एसपी साहब ने उनकी सलाह भी नहीं मानी. खैर अब एसपी साहब बतौर एक्सपर्ट पहचाने जाएंगे. जब-जब हाथी-मानव द्वंद की चर्चा छिड़ेगी, उनके एक्सपर्ट व्यू सुनने को मिल सकते हैं.
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ये बंदा पाॅवरफुल है !

ये बंदा पाॅवरफुल है ! तभी तो तमाम विरोध के बावजूद मरवाही जैसे बड़े वनमंडल में एकतरफा राज चल रहा है. वैसे ये साहब हैं एसडीओ संजय त्रिपाठी. बताते हैं कि इनकी नियुक्ति के पीछे कई प्रभावशाली नेताओं ने भी ऊपर फोन किया था, लेकिन तब दाल नहीं गली थी. फिर अचानक इनकी नियुक्ति मनमाफिक मिल गई. वह भी तब राज्य में आईएफएस अधिकारियों की कमी नहीं है, इन्हें मरवाही वनमंडल का प्रभारी डीएफओ बना दिया गया. गणपति विसर्जन के दौरान इनका ठुमका लगाने वाला वीडियो जमकर वायरल हुआ था. उससे ये मालूम हुआ कि साहब नाचने और नचाने की कला में बेहद पारंगत हैं. इन्हीं के प्रभाव क्षेत्र में हाथी ने एसपी त्रिलोक बंसल को उठाकर पटक दिया. लोग कहने लगे कि कहीं हाथी भी इनके इशारे पर तो नहीं चल रहा.
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राज्यपाल रमेश बैस ने पकड़ाए असल चोर…..

रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में बीते दिनों करीब सवा करोड़ रूपए की ज्वेलरी की चोरी हो गई. चोर गिरोह झारखंड का निकला. ज्वेलरी संचालक ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को चोरी के मामले की जानकारी देते हुए मदद मांगी. बस फिर क्या था. रमेश बैस ने सीधे डीजीपी को फोन मिलाया.  बगैर देरी किए डीजीपी ने एक एसआईटी गठित कर मामले की जांच शुरू कर दी. फिर जो सामने आया, वह बेहद दिलचस्प रहा. छत्तीसगढ़ से चोरी का माल लेकर झारखंड घुसते ही वहां की पुलिस ने पहले ही चोरों के माल को दबोच लिया था. सवा करोड़ के माल में सोने के आइटम ज्यादा थे, लेकिन जप्ती केवल चांदी की दिखाई गई. सोने की ज्वेलरी को पोटली में बांधकर पुलिस वालों ने नदी किनारे छिपा रखा था. आगे चलकर बेचने की प्लानिंग थी. इस पूरी घटना में राज्यपाल रमेश बैस की दिलचस्पी ही थी कि मामला इस कदर फूटा कि थानेदार समेत चार सिपाही निलंबित हो गए.
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झीरम घाटी की रिपोर्ट

छुट्टी भरे माहौल के बीच यूं अचानक झीरम घाटी न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपा जाना अचरज भरा है. रिपोर्ट सौंपे जाने की टाइमिंग बेहद दिलचस्प है. अभी पखवाड़े भर पहले ही चीफ जस्टिस का शपथ हुआ था. कार्यवाहक चीफ जस्टिस रहे और वर्तमान में आंध्रप्रदेश के चीफ जस्टिस बनकर गए प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष थे. 10 वाल्यूम और 4 हजार 184 पेज की यह रिपोर्ट उनकी ही अगुवाई में बनी थी. इधर रिपोर्ट पेश हुआ उधर कांग्रेस ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने पर सवाल उठाया है. पूछा है कि- आखिर क्या छिपाने की कोशिश की जा रही है. बहरहाल  कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी शुरू हो गई.  अब इंतजार रिपोर्ट के सार्वजनिक होने का है.
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