चंडीगढ़। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) के दामाद तरुणवीर सिंह लेहल (Tarun Vir Singh Lehal) को एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाया गया है. बता दें कि सुखजिंदर रंधावा पंजाब के गृह मंत्री भी हैं, इसलिए अब विपक्षियों के निशाने पर वे सीधे-सीधे आ गए हैं. विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे को डीएसपी बनाने का विरोध करने वाले सुखजिंदर रंधावा अब अपने दामाद तरुणवीर को एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाने के मामले में आलोचना झेल रहे हैं.
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इधर सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इसे लेकर अपनी सफाई दी है. उन्होंने कहा कि तरुणवीर सिंह लेहल को उन्होंने रिश्तेदार होने का लाभ नहीं दिया है, बल्कि उनकी नियुक्ति पूरी तरह से जायज है. उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति महाधिवक्ता पंजाब की सिफारिश पर की गई है. उन्होंने कहा कि लेहल का 12 साल से अधिक का अभ्यास रिकॉर्ड है और 500 से अधिक मामले हाईकोर्ट में लंबित हैं. यह 6 महीने से कम समय के लिए संविदा नियुक्ति है.
AAP ने लगाए भाई-भतीजावाद के आरोप
विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार पर भाई-भतीजावाद के आरोप लगाए हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता राघव चड्ढा ने नौकरियों पर पार्टी के चुनावी वादे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह केवल कांग्रेस नेताओं के रिश्तेदारों पर लागू होता है.
2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव
बता दें कि अगले साल पंजाब विधानसभा के चुनाव हैं. इसे लेकर सभी पार्टियां जोर-शोर से जुट गई हैं. इधर कांग्रेस से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पंजाब लोक कांग्रेस दल का गठन कर लिया है. वहीं आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकने को तैयार है. पंजाब में सभी 117 विधानसभा सीटों पर इस बार BJP ने चुनाव लड़ने का एलान किया है.
पिछले चुनाव में विभिन्न पार्टियों को मिली थीं इतनी सीटें
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 117 में से 77 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया था. वहीं दिल्ली में सत्ताधारी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में 20 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. अकाली दल केवल 15 सीटें ही जीत सकी थी, जबकि बीजेपी को महज 3 सीटें मिलीं थीं. उस समय बीजेपी का अकाली दल के साथ गठबंधन था, लेकिन तीन कृषि कानूनों के बाद अकाली दल बीजेपी से अलग हो गई. इस बार बीजेपी अकेले दम पर चुनावी मैदान में कूदेगी.
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