कोंडागांव. महिलाएं हर क्षेत्र में आगे है. परिवार के साथ-साथ समाज को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रही है. ऐसे ही सावित्री बीमार पति को मौत के मुंह से वापस ले आई. अब पति के काम को उन्होंने सहारा बनाया और खुद बन एक शिल्पकार गई. सावित्री कई सम्मान भी पा चुकी है. बताया जा रहा है कि 15 साल पहले पति बीमार हुए तो पति को गुरू मानकर लौह शिल्प का काम करने लगी. कई जगहों पर सम्मानित भी हुई और अब शिल्पकला से परिवार चला रही है.

पति की रक्षा व लम्बी उर्म्र के लिए महिलाएं कुछ भी कर सकती है. इसी का उदाहरण कोंडागाव जिले के किड़ईछेपडा में देखने को मिला. लोहार का काम कर किसी तरह परिवार चलाने वाले जयलाल बघेल 15 साल पहले बीमार हुए तो एक बार लगा कि परिवार सड़क पर ही आ जाएगा, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ने उनके काम को ही आगे बढाते हुए लौह शिप्ल में पारंगत हासिल कर ली.

अब सावित्री लोहा पिघलाकर उसे शिल्पकार तो देती ही है पर उसके साथ अपने परिवार को रोड पर आने से बचा लिया. आज दूर-दूर तक सावित्री की कला की सराहा हो रही है, बल्कि कई स्थानों से उसने सम्मान भी प्राप्त कर लिया है. जिलें में ही नहीं बल्की प्रदेश में भी अपनी व अपनी कला के साथ जिले का नाम भी रोशन कर रही है.