मनीष मारू, आगर मालवा. पिछले दिनों देश में 100 करोड़ वेक्सिनेशन का जश्न बड़े धूमधाम से मनाया गया. कोरोना के खिलाफ यह एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है. इसमें कोई शक नहीं, मगर जब मृतक लोगों को ही कोरोना के टिके का डोज लगने का प्रमाण पत्र जारी हो जाए तो तमाम तरह के सवाल खड़े होते हैं. ऐसे ही सवाल पहले भी उठते रहे हैं, जिनका जवाब अभी तक नहीं मिला. मध्य प्रदेश के आगर मालवा से लल्लूराम डॉट कॉम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की है.

प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 200 किलोमीटर दूर आगर मालवा जिला मुख्यालय पर रहने वाले लोकेश जैन की माताजी सुशीला जैन को 6 मार्च को कोविशिल्ड का पहला डोज लगा. जून के पहले सप्ताह में दूसरा डोस लगाया जाना था. मगर 31 मार्च 2021 को सुशीला जैन और पति अभय कुमार जैन का निधन कोरोना की संदिग्ध अवस्था के चलते इंदौर में उपचार के दौरान हो गया था. अब करीब 7 महीने बाद 10 नवंबर को उनके पुत्र लोकेश जैन के मोबाइल पर मैसेज आता है कि सुशीला जैन का कोविशिल्ड का दूसरा डोज 10 नवंबर को आगर जिले के कानड़ प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पर लगाया जा चुका है. लोकेश ने वेबसाइट खंगाली तो वहां से कोविशिल्ड के दूसरे डोज़ का सर्टिफिकेट भी मिल गया.

बात यहीं नही रुकी लोकेश को वेबसाइट में अपने मृत पिता अभय कुमार जैन का भी दूसरे डोज़ का सर्टिफिकेट दिखाई दिया. जिसे डाऊनलोड करने पर पता चला कि 31 मार्च 2021 को मृत हुए पिता को भी 17 सितंबर 2021 यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर टिका लगाया जा चुका है. अब लोकेश आंकड़ों की सरकारी जादूगरी पर सवाल उठा रहे हैं.

वहीं इस मामले में मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ अधिकारी डॉ. समंदर सिंह मालवीय ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. अब डोर टू डोर वेक्सिनेशन का कार्य शुरू हो गया है, लेकिन जिस तरह के मामले सामने आ रहे हैं उससे साफ होता है कि जिन आंकड़ों को देखकर जश्न मनाए जा रहे हैं वो कैसे हासिल किए गए होंगे.