शब्बीर अहमद, भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है। दिग्विजय ने पत्र में उनसे 20 साल से जिलाधिकारी के पास रखे तिरंगे को मुक्त कराने के लिए कहा है।
पत्र में उन्होंने कहा है कि 20 साल पहले 26 जनवरी 2001 को नागपुर में तीन युवकों ने आरएसएस संस्थापक डॉ हेडगेवार स्मारक पर पहुंचकर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश की थी। लेकिन उनकी शिकायत की गई और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। 12 साल तक चली सुनवाई के बाद उन्हें न्याायलय ने दोष मुक्त कर दिया था। लेकिन अभी भी तक वो तिरंगा जिला अधिकारी के कस्टडी में है।
उन्होंने उद्धव ठाकरे से तिरंगे को मुक्त कराने की मांग करते हुए कहा कि जिस तिरंगे की आन बान और शान के लिये झण्डा लेकर लाखों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहूति दी। उस तिरंगे को सरकारी अलमारी से आजाद कराते हुए युवा समाज सेवी मोहनीश जबलपुरे को से राष्ट्रीय पर्व पर फहराने के लिये सौंपे जाने का कष्ट करें।़
पत्र में ये लिखा
आर.एस.एस. के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार की स्मृति में नागपुर में बने स्मारक में राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोके जाने और झण्डा जब्त किये जाने के मामले को आपके सामने लाना चाह रहा हूँ। इस प्रकरण में जब्त राष्ट्रीय ध्वज अभी भी बीस वर्ष से पुलिस की अभिरक्षा में है और राष्ट्रभक्त नागरिक मोहनिश जबलपुरे इसे पुलिस के बंधन से मुक्ति दिलाने के लिये राष्ट्रीय पर्व पर ससम्मान फहराना चाहते हैं।
नागपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता मोहनिश जिवनलाल जबलपुरे ने इस संबंध में बताया कि 26 जनवरी 2001 को गणतंत्र दिवस के दिन नागपुर निवासी रमेश कलंबे, उत्तम मेंढे और दिलीप छतनानी ने रेशमबाग नागपुर स्थित डॉ. हेडगेवार स्मारक स्थल पर पहुंचकर राष्ट्रध्वज तिरंगे को फहराने की कोशिश की। क्योंकि राष्ट्रीय पर्व पर इस संस्थान के लोग तिरंगा नहीं फहराते थे। वहाँ के कर्मचारियों ने उन्हे ऐसा करने से रोका। वादविवाद होने के बाद तीनों के विरूद्ध डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के कर्मचारी सुनील कथले ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश करने पर स्थानीय कोतवाली थाने में एफ.आई.आर. दर्ज करा दी। ये उसी विचारधारा के लोग हैं जिन्होने नागपुर के संघ मुख्यालय में 15 अगस्त और 26 जनवरी पर कई दशकों तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया था।
राष्ट्रीय ध्वज को डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के कार्यालय में लगाने का मुकदमा स्थानीय न्यायालय में 12 वर्ष तक चला। सन् 2013 में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को धारा 143, 148, 448, 323, 504, 506 बी और 149 से दोष मुक्त कर दिया। पुलिस द्वारा जब्त तिरंगे झण्डे को जिला अधिकारी के यहाँ रखने का आदेश दिया। इस तरह “पहले तिरंगा, बाद में रंग बिरंगा” का नारा लगाकर डॉ. हेडगेवार स्मृति कार्यालय में राष्ट्रध्वज लगाने वाले तीनों बरी हो गये। लेकिन विगत बीस वर्षों से “राष्ट्रध्वज तिरंगा” सरकारी रिकार्ड में ही रखा है।
सामाजिक कार्यकर्ता मोहनिश जबलपुरे इस झण्डे को प्राप्त कर राष्ट्रीय पर्व पर सार्वजनिक स्थल में फहराना चाह रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी रिकार्ड में 20 वर्ष से रखे “राष्ट्रध्वज’ को वहाँ से मुक्त कराया जाना चाहिये। वे झण्डा फहराते हुए यह तराना गाना चाह रहे हैं कि “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा”।
मेरा आपसे अनुरोध है कि जिन तिरंगे की आन बान और शान के लिये झण्डा लेकर लाखों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहूति दी। उस तिरंगे को सरकारी अलमारी से आजाद कराते हुए युवा समाज सेवी मोहनीश जबलपुरे को से राष्ट्रीय पर्व पर फहराने के लिये सौंपे जाने का कष्ट करें।