सत्यपाल सिंह,रायपुर। हमीदिया अस्पताल और कचना हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के घर में लगी आग के बाद रायपुर जिला प्रशासन जागा है. कलेक्टर ने फायर सेफ्टी को लेकर निरीक्षण कर जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि प्रदेश के 80% अस्पताल और अन्य भवनों में फायर सुरक्षा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं है. निजी अस्पतालों के निरीक्षण के लिए जिन अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई, उनमें कोई भी सक्षम अधिकारी नहीं है. सरकारी हॉस्पिटल का भी ऑडिट होना चाहिए, क्योंकि सरकारी हॉस्पिटल में आगजनी की घटना सबसे ज्यादा है. यह कहना है कि हॉस्पिटल बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता का.
हॉस्पिटल बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के 80% हॉस्पिटल और बिल्डिंग (सरकारी-प्राइवेट) में फायर सेफ़्टी की व्यवस्था नहीं है. राज्य के परिपेक्ष्य में कोई फ़ायर सेफ़्टी नियम नहीं है. यहां फायर सेफ्टी के नाम पर सिर्फ काम चलाया जा रहा है. नेशनल बिल्डिंग कोड और दिल्ली फायर सेफ़्टी एक्ट लागू है.
पक्षपात का आरोप
उन्होंने कहा कि फायर ऑडिट का फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन रायपुर कलेक्टर का आदेश बिल्कुल पक्षपातपूर्ण है, क्योंकि आगज़नी घटना प्राइवेट और सरकारी देख कर घटित नहीं होती है. ऑडिट करने का सिर्फ प्राइवेट हॉस्पिटल को टारगेट किया गया है, अगर हम आगजनी की घटना देखें, तो अभी भोपाल के सरकारी हॉस्पिटल हमीदिया में बड़ी घटना हुई. कई बच्चों की जान गई. ऐसे कई उदाहरण है. इसलिए सभी क्षेत्रों का जांच होना चाहिए.
नियमों को तोड़ मरोड़कर दी गई लाइसेंस
प्रदेश हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि 20 प्रतिशत लोगों के पास लाइसेंस है. उसमें भी नियम को तोड़ मरोड़कर आपसी मिलीभगत कर लाइसेंस जारी किया गया है. अगर इसमें जांच की जाती है, तो मामला उजागर होगा.
सक्षम अधिकारी नहीं
छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में प्रदेश का कोई फायर सेफ़्टी नियम नहीं है. साथ ही ऐसे सक्षम अधिकारी भी नहीं है, जो नियमों के अधीन निरीक्षण कर सके. फायर सेफ़्टी को नगर निगम के अधिकार क्षेत्र से हटाकर 2018 में फायर सेफ़्टी विभाग बनाया गया. वही से गड़बड़ी शुरू हुई है.
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