मनीष राठौर,राजगढ़। मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में अस्पतालों की लापरवाही लगातार देखने को मिलती है. इसमें जीरापुर सिविल अस्पताल भी पीछे नहीं है. अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए अस्पताल से गर्भवती महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है. लेकिन ताजुब्ब की बात यह है कि महिलाओं की बीच रास्ते में ही डिलीवरी हो जाती है. सवाल ये है कि आखिर जीरापुर सिविल अस्पताल में गर्भवती महिलाएं क्यों रेफर कर दिए जाते हैं ?

ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है. जिसमें एक महिला को जीरापुर सिविल अस्पताल से रेफर किया था. जीरापुर शहर की सीमा भी महिला ने पार नहीं की थी और उसने अपने बच्चे को जन्म दे दिया. घटना मंगलवार रात की है. जब राजेश गुर्जर अपनी गर्भवती बहन को लेकर मंगलवार रात 10 बजे जीरापुर सिविल अस्पताल में पहुंचे थे. जहां रात भर से बोल रहे थे कि डिलीवरी हो जाएगी, लेकिन सुबह 10 बजे डॉक्टर प्रियंका नरवरिया ने देखा और बोला कि बिल्डिंग हो रही है रेफर कर दो, लेकिन वही स्टाफ नर्स संतोस नागर ने कहा था कि मेडम डिलीवरी रास्ते में हो जाएगी. पेशेंट गम्भीर है, लेकिन डॉक्टर में रेफर कर दिया.

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500 मीटर की दूरी पर ही हुआ डिलीवरी

जीरापुर अस्पताल से राजगढ़ ले जाते समय 500 मीटर की दूरी पर ही डिलीवरी हो गई. जिस पर परिजनों ने अस्पताल में आकर खूब हंगामा किया. अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठाए. ये यहां की नई बात नहीं है, कई बार ऐसा हो चुका है. कुछ दिन पहले भी महिला को रेफर किया था और 15 किलोमीटर की दूरी तय करने बाद रास्ते में ही उसकी डिलीवरी हो गई थी. लेकिन कोई जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं देता और रोजाना यही हाल होते रहता है.

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नए स्टाफ के भरोसे नाइट ड्यूटी

अस्पताल में अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी लगाई जाती है. वही रोस्टर अनुसार 14 नवंबर से नए स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई. जिसमें स्टाफ़ नर्स ऋतु और हर्षा दोनों सिस्टर की ड्यूटी लगाई गई. जबकि दोनों ही अभी नए स्टाफ है, जबकि सीनियर स्टाफ मौजूद होने के बाद भी इनको सिर्फ एकेले ही ड्यूटी पर देखा गया. रात के समय में डॉक्टर भी उपलब्ध रहने चाहिए. लेकिन वो भी ऑन कॉल उपलब्ध रहते हैं. अगर नए स्टाफ के साथ किसी सीनियर स्टाफ को भी रखा जाए, तो मरीजों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.

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अस्पताल में अव्यवस्था, मरीज-परिजन परेशान

जीरापुर अस्पताल परिसर में दो वॉटर कूलर लगाकर पानी की सुविधा दे रखी है. वही 1 वॉटर कूलर तो पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष गोकरन वर्मा ने दिया था, जो अभी धूल खाता हुआ नजर आ रहा है. जीरापुर अस्पताल में यह हाल है कि मरीजों के परिजनों को पानी के लिए काफी परेशान होना पड़ता है. पानी के लिए बाहर जाना पड़ता है. अस्पताल प्रबंधन की इतनी लापरवाही है कि जहां पर पानी के वॉटर कूलर और उससे संबंधित सामग्री रखी है, वहां पर प्रबंधन ने ताला लगाया हुआ है. जिससे मरीजों के परिजनों को पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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नर्स बोली- डॉक्टर ने कहा रेफर करने 

परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. मामला बिगड़ता देख जब मीडिया की टीम स्टाफ़ नर्स सतोष नागर के पास पहुंची, तो उन्होंने कहा कि मैंने तो डॉक्टर को कहा था कि डिलीवरी रास्ते में भी हो सकती है, लेकिन उन्होंने रेफर करने को बोला.

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