चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है. इसके साथ ही पंजाब के गांवों में भाजपा की एंट्री का रास्ता भी साफ हो गया है. भाजपा अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को चेहरे के रूप में गांवों में ले जा सकती है. भाजपा ने इस मास्टरस्ट्रोक के साथ किसानों में अपने खिलाफ 14 महीने के गुस्से को भी शांत करने की कोशिश की है.
BIG NEWS: PM मोदी का बड़ा ऐलान, केंद्र सरकार ने वापस लिए तीनों कृषि कानून, किसानों से खेतों में वापस लौटने की अपील
जिन गांवों में कृषि कानूनों को लेकर पहले केंद्र सरकार को जमकर कोसा जा रहा था, वहीं अब उन्हीं गांवों में लोग पीएम मोदी की बहुत तारीफ कर रहे हैं. हालांकि लोगों का ये कहना जरूर है कि अगर ये कदम पहले उठाया जाता, तो सैकड़ों किसानों की जान नहीं जाती. गांवों में और दिल्ली बॉर्डर पर भी लोगों ने जश्न मनाया, एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाईं. बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर किसान करीब सालभर से विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे. अब प्रधानमंत्री मोदी ने अपील की है कि किसान वापस अपने गांवों और खेतों में लौट जाएं.
सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसान मना रहे जश्न, तीनों कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद कहा- आखिर हमारे संघर्ष को मिली जीत
गौरतलब है कि किसानों ने सभी राजनीतिक पार्टियों को गांव में घुसने से मना कर दिया था. यहां तक कि रैली और सभाओं पर भी तब तक रोक लगा दी थी, जब तक कृषि कानून वापस नहीं हो जाते. अब किसानों का कहना है कि अगर संसद में कृषि कानून रद्द हो जाते हैं, तो हम नेताओं से सवाल पूछना बंद कर देंगे. उनका घेराव भी नहीं करेंगे और इससे पंजाब के गांवों का माहौल भी बदल जाएगा.
2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव
पंजाब में विधानसभा की कुल 117 सीटें हैं. जिनमें से 77 सीटों पर सबसे अधिक संख्या किसान वोटर्स की है, ऐसे में कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर बीजेपी ने किसान वोटरों को साधने की कोशिश की है. गौरतलब है कि कृषि कानूनों की वजह से पंजाब में बीजेपी की राह आसान नहीं थी. किसान किसी भी राजनीतिक पार्टी को सभा तक नहीं करने दे रहे थे और न तो उनकी बात ही सुन रहे थे. लंबे समय से केंद्र सरकार ने भी कानूनों को लेकर किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा भी कि ये कानून किसानों के हित में थे, लेकिन बहुत प्रयासों के बाद भी कुछ किसानों को वे यह बात नहीं समझा पाए.
सीटों का सियासी गणित
पंजाब मालवा, माझा और दोआबा एरिया में बंटा हुआ है. सबसे ज्यादा 69 सीटें मालवा में हैं. मालवा में ज्यादातर ग्रामीण सीटें हैं, जहां किसानों का दबदबा है. यही इलाका पंजाब की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है. 23 सीट वाले दोआबा में ज्यादातर दलित असर वाली सीटें हैं. वहीं 25 सीटों वाले माझा में सिख बहुल सीटें हैं. पंजाब की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. पंजाब में 75% लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर खेती से जुड़े हैं. प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े लोगों की बात करें, तो इसमें किसान, उनके खेतों में काम करने वाले मजदूर, उनसे फसल खरीदने वाले आढ़ती और खाद-कीटनाशक के व्यापारी शामिल हैं. इनके साथ ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री भी जुड़ जाती है. आढ़तियों से फसल खरीदकर आगे सप्लाई करने वाले ट्रेडर्स और एजेंसियां भी खेती से ही जुड़ी हुई हैं. अगले फेज में शहर से लेकर गांव के दुकानदार भी किसानों से ही जुड़े हैं. फसल अच्छी होती है, तो फिर किसान खर्च भी करता है. इसके जरिए कई छोटे कारोबार भी चलते हैं.
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