रायपुर. पुष्य नक्षत्र विशेष रूप से सफलता प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है. इस पुष्य नक्षत्र में श्री यंत्र की पूजा करने से एकाग्रता प्राप्त की जा सकती है. श्री यंत्र को श्री की देवी माँ लक्ष्मी का यंत्र माना जाता है. श्री यंत्र दुनिया का सबसे शक्तिशाली और प्रसिद्द यंत्र है. लेकिन अधिकतर लोग केवल इसे धन दायक के रूप में ही जानते है, जबकि इसकी मदद से शक्ति और अपूर्व सिद्धियाँ भी पाई जा सकती है.
पुष्य नक्षत्र को भारतीय ज्योतिष के अनुसार सबसे अधिक शुभ माने जाने वाले नक्षत्रों में से एक माना जाता है और इस नक्षत्र के उदय होने पर शुभ कार्य किया जाता है. पहिये को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह मानते है. पहिए को वैदिक ज्योतिष में समय के चलने के साथ अर्थात समय की गति के साथ विकास और उन्नति के साथ तथा सभ्यता के विकास के साथ जोड़ कर देखा जाता है. और पहिए के इन गुणों का प्रदर्शन भी पुष्य नक्षत्र के माध्यम से होता है. जिसके चलते इस नक्षत्र को समय के साथ भी जोड़ कर देखा जाता है.
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अत: पुष्य नक्षत्र में श्री यंत्र स्थापित कर पूजा करने और विधि पूर्वक पूजा करने से एकाग्रता भी पाई जा सकती है और एकाग्रता से ही सफलता प्राप्त होती है. सबसे पहले जानते है यंत्र स्थापना विधि और पूजा विधि.
श्री यंत्र की स्थापना के दिन नहाने के पश्चात अपने यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार श्री लक्ष्मी मंत्र का जाप करें और इसके बाद अपने श्री यंत्र पर थोड़े से गंगाजल अथवा कच्चे दूध के छींटे दें. मां लक्ष्मी से इस यंत्र के माध्यम से अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करने की प्रार्थना करें. और इसके बाद इस यंत्र को इसके लिए निश्चित किये गये स्थान पर स्थापित कर दें.
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आपका श्री यंत्र अब स्थापित हो चुका है और इस यंत्र से निरंतर शुभ फल प्राप्त करते रहने के लिए आपको इस यंत्र की नियमित रूप से पूजा करनी होती है. प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात अपने श्री यंत्र की स्थापना वाले स्थान पर जाएं और इस यंत्र को नमन करके 11 या 21 श्री लक्ष्मी बीज मंत्रों के उच्चारण के पश्चात अपने इच्छित फल इस यंत्र से मांगें.
एकाग्रता के लिए श्री यंत्र का प्रयोग –
बहुत ही कम लोग जानते है की श्री यंत्र का पूजन करने से सिर्फ धन ही नहीं बल्कि और भी कई लाभ होते हैं. इसकी मदद से मस्तिष्क को शांति और एकाग्रता भी प्राप्त होती है. इसके लिए अपने काम या पढ़ने वाले स्थान पर श्री यंत्र का चित्र लगायें. चित्र रंगीन होगा तो अच्छा होगा. श्री यंत्र को इस तरह लगायें की आपके आँखें उसके ठीक सामने लगायें. जिस जगह यंत्र स्थापित किया गया हो वहां गंदगी न फैलाएं और नशे से दूर रहे. गायत्री मन्त्र का उच्चारण कर विद्या आरम्भ करें. इससे एकाग्रता में बढ़ोतरी होगी जिससे सफलता प्राप्त होगी.
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