नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने क्लिकजैकिंग और सिम ब्लॉक करने में शामिल साइबर ठगों के एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह पीड़ित के मोबाइल नंबर का डुप्लीकेट सिम कार्ड जारी कर लोगों को ठगता था और उसके बाद इंटरनेट बैंकिंग के जरिए पीड़ित के बैंक खाते से अपने खाते में पैसे ट्रांसफर करता था. उनका मुख्य लक्ष्य वे लोग थे, जिनके पास चालू या व्यावसायिक बैंक (करंट या बिजनेस अकाउंट) खाते थे.
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बता दें कि क्लिकजैकिंग एक ऐसा हमला है, जो उपयोगकर्ता को किसी ऐसे वेब पेज तत्व पर क्लिक करने के लिए प्रेरित करता है, जो जरूर है या किसी अन्य तत्व के रूप में होता है. क्लिकजैकिंग में command से attached code उन घटनाओं को ट्रिगर करता है, जो कभी भी users interface में Describe नहीं होते हैं. इससे उपयोगकर्ता अनजाने में मैलवेयर डाउनलोड कर सकते हैं, दुर्भावनापूर्ण वेब पेजों पर जा सकते हैं, क्रेडेंशियल या संवेदनशील जानकारी प्रदान कर सकते हैं, पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं या ऑनलाइन उत्पाद खरीद सकते हैं. आरोपियों की पहचान दिल्ली निवासी कासिफ अख्तर, पटना के गौरव कुमार, मुंबई के मूसा गौस शेख और ठाणे के मोहम्मद अली के रूप में हुई है.
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पुलिस ने बताया कि 24 अक्टूबर को एक शख्स ने साइबर फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे अपने मोबाइल नंबर पर एक वैकल्पिक मोबाइल फोन नंबर बदलने के अनुरोध के बारे में एक संदेश मिला. चूंकि शिकायतकर्ता ने एक दिन पहले ही एक नया सिम जारी कराया था, इसलिए उसने इसे एक सामान्य संदेश माना और निर्देशों के साथ आगे बढ़ गया. बाद में दिन में उसने पाया कि उसका सिम ब्लॉक हो गया है और अगले दिन उसने देखा कि उसके मेल पर एक नेट बैंकिंग पासवर्ड जनरेट करने का अनुरोध था, जिसके बाद उन्होंने संबंधित बैंक से संपर्क किया. उन्हें तब निराशा हाथ लगी, जब उन्हें बताया गया कि उनके खाते से तीन लेनदेन के साथ कुल 10 लाख रुपये बिहार और पश्चिम बंगाल में स्थित दो खातों में स्थानांतरित किए गए थे. उसे कस्टमर केयर से यह भी पता चला कि उसका सिम दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित एक कॉल सर्विस एजेंसी स्टोर से एक अज्ञात व्यक्ति को जारी किया गया है.
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शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. जांच के दौरान पता चला कि ठगी की रकम एटीएम से निकाली गई है. पुलिस टीम ने कॉल सेवा प्रदाताओं और बैंकों से भी जानकारी एकत्र की थी, जिसके माध्यम से उन्हें संदिग्ध (जिसने खुद को हरीश चंद्र के रूप में प्रस्तुत किया) शिकायतकर्ता की एक जाली मतदाता पहचान पत्र और अन्य विवरण प्राप्त हुए. तकनीकी जांच और सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद कासिफ अख्तर नाम के शख्स की पहचान हुई, जिसे बाद में 17 नवंबर को जाकिर नगर से पकड़ा गया. अख्तर ने खुलासा किया कि वह गौरव कुमार नाम के शख्स के निर्देश पर जियो सेंटर गया था. गौरव कुमार को बाद में पटना से गिरफ्तार किया गया.
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पुलिस ने कहा कि पूछताछ के दौरान गौरव कुमार ने खुलासा किया कि वह मूसा गौस शेख के निर्देशों पर काम कर रहा था और उसने शिकायतकर्ता का सिम जारी करने के लिए 20,000 रुपये प्राप्त किए. उसने आगे खुलासा किया कि मूसा मोहम्मद अली के लिए काम करता है. मूसा और अली दोनों को एक अफ्रीकी नागरिक सनी नाम के व्यक्ति से इंटरनेट बैंकिंग यूजर आईडी और पासवर्ड प्राप्त हुआ. चारों आरोपियों को उनके-अपने ठिकानों से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस उपायुक्त (उत्तरी जिला) सागर कलसी ने कहा कि अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने और धन के प्रवाह को रोकने के लिए और प्रयास जारी हैं. पुलिस ने उनके पास से 3 लैपटॉप, 4 मोबाइल फोन, दो फर्जी आईडी और एक स्कूटी बरामद की है.
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