राकेश शर्मा, भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव का ऐलान होते ही बीजेपी और कांग्रेस में राजनीति गरमा गई है। निर्वाचन आयोग द्वारा तारीखों का ऐलान के साथ तीन चरणों में चुनाव की घोषणा कर दी है। पहले चरण में 6 जनवरी को, दूसरे चरण में 28 जनवरी और तीसरे व अंतिम चरण में 16 फरवरी को मतदान होंगे।
आयोग द्वारा चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने संवैधानिक मंशा के विपरीत काम किया है। आरक्षण के बिना कोई भी चुनाव, कोई भी मतदान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा आरक्षण, परिसीमन समाप्त करने का अध्यादेश जारी किया गया है। निर्वाचन आयोग के पास वैध मतदाता सूची उपलब्ध नहीं है। आरक्षण की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव कराना नहीं बल्कि उलझाना चाहती है। जो इस निर्णय से दुखी होंगे वे न्यायालय की शरण में जाएंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष से चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे।
प्रदेश सरकार का रवैया हिटलरशाही
कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष सैयद जाफर ने चुनाव की घोषणा होने पर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश की ग्रामीण जनता आज चुनाव की घोषणा होने के बाद निराश हुई है। जहां एक ओर 2014 में जो ग्राम पंचायत जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी आज वही आरक्षण पुन: लागू कर दिया गया है। इससे अन्य वर्गों के अधिकार छिन गए हैं। प्रदेश सरकार का यह रवैया हिटलरशाही की तरह है।
पंचायत चुनाव में बीजेपी उतारेगी कार्यकर्ता
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा है कि लोकतंत्र की सबसे छोटी और महत्वपूर्ण इकाई है पंचायत। ये चुनाव दलगत नहीं होते, लेकिन बीजेपी के कार्यकर्ता चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कार्यकर्ता लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनाव लड़ेंगे। जनपद और जिला पंचायत में बीजेपीकार्यकर्ता इतिहास बनाएंगे। बीजेपी ऐसे कार्यकर्ताओं को संबल देगी।
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