दिनेश शर्मा, सागर। शहर के लाखा बंजारा झील की जमीन पर रसूखदारों के कब्जे पर राष्ट्रीय हरित क्रांति ने सख्त नाराजगी जताई है। साथ ही एक महीने के अंदर अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई कर स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब किया है और झील में मिलने वाले नालों का पानी रोकने के लिए भी आदेशित किया है।
साहर की ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील में अतिक्रमण और अनट्रीटेड वाटर सीधे तौर पर मिलाए जाने को लेकर एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने राज्य सरकार से एक महीने के भीतर रिपोर्ट तलब किया है। इस मामले में जया ठाकुर की याचिका पर आज सुनवाई हुई। खास बात ये है कि लाखा बंजारा झील में 43 अतिक्रमणकारियों ने 5447 वर्ग मीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है। जिसमें भाजपा के पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव भी शामिल हैं। इसके अलावा संघ कार्यालय ने भी लाखा बंजारा झील की भूमि पर कब्जा कर रखा है।
क्या है लाखा बंजारा का मामला
सागर की पहचान कही जाने वाली ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील में अतिक्रमण और सीधे तौर पर अनट्रीटेड वाटर मिलाए जाने के मामले में जया ठाकुर ने एनजीटी की सेंट्रल बेंच में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर एनजीटी ने राज्य सरकार को एक कमेटी गठित कर पुराने रिकॉर्ड के हिसाब से लाखा बंजारा झील का सीमांकन कराने के लिए आदेशित किया थ। जिसकी रिपोर्ट राज्य शासन ने 5 अक्टूबर को एनजीटी के समक्ष पेश किया था और बताया था कि लाखा बंजारा झील की 5447 वर्ग मीटर जमीन पर 43 लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। मामले में राज्य सरकार अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है। मंगलवार को हुई सुनवाई में एनजीटी ने राज्य सरकार से एक माह के भीतर अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करने की स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है।
रसूखदारों ने किया अवैध कब्जा
ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील पर कब्जे के मामले में जब प्रशासन ने पुराने रिकॉर्ड के हिसाब से सीमांकन किया तो सामने आया कि 43 लोगों ने झील की जमीन पर कब्जा कर रखा है। झील पर अतिक्रमण करने वालों में कई रसूखदारों के नाम भी शामिल हैं। जिनमें भाजपा के पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव के अलावा सागर के संघ कार्यालय को भी अतिक्रमणकारियों की सूची में शामिल किया गया है, लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
क्या कहा एनजीटी ने
याचिकाकर्ता के वकील वरुण ठाकुर ने बताया कि सागर की लाखा बंजारा झील में अतिक्रमण हो रहा था और सीधे तौर पर अनट्रीटेड वाटर सप्लाई किया जा रहा था। मामले में जया ठाकुर ने एनजीटी में एक याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई के बाद एनजीटी ने एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने साफ तौर पर निर्देश दिए थे कि पुराने नक्शे के हिसाब से सीमांकन की कार्रवाई पूरी करें और जिन लोगों ने कब्जा किया है। उन्हें बेदखल किया जाये। साथ ही अनट्रीटेड वाटर को भी झील में गिरने से रोका जाए। मामले में 5 अक्टूबर को मध्यप्रदेश सरकार ने एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें उन्होंने माना कि करीब 43 लोगों ने कब्जा कर रखा है और 5447 वर्ग मीटर जमीन अतिक्रमण की जद में हैं। एनजीटी ने राज्य सरकार को तलब करते हुए अतिक्रमणकारियों और अनट्रीटेड वाटर रोकने के लिए किए गए प्रयासों की रिपोर्ट मांगी है।
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