चंडीगढ़। तीन कृषि कानूनों को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने करीब सालभर आंदोलन किया. वहीं किसान मोर्चा और सरकार के बीच मांगों को लेकर सहमति बनने के बाद अब किसान दिल्ली बॉर्डर से हटने लगे हैं. टेंट हटाए जा रहे हैं. सभी अपना सामान समेट रहे हैं. केंद्र सरकार ने एमएसपी पर उन्हें लिखित आश्वासन दिया है. इधर किसान आंदोलन के कारण पंजाब में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है. अब कानूनों की वापसी के बाद वो अपनी पुरानी साख तलाशने की कोशिश में जुटी है. किसान आंदोलन के चलते पार्टी को अपने 24 साल पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का साथ भी गंवाना पड़ा. अब पंजाब भाजपा ने पंजाब की सभी 117 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन बीते एक साल के दौरान खिसके जनाधार को फिर से जोड़ने में पार्टी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

पंजाब CM चरणजीत सिंह चन्नी के भाई लड़ेंगे चुनाव, सीनियर मेडिकल अफसर के पद से इस्तीफा दिया

 

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल से अलग हुए सीनियर टकसाली नेताओं के साथ चुनावी गठबंधन की कवायद भी शुरू कर दी है. कैप्टन से भाजपा नेताओं की कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद भी कई बार खुलकर बीजेपी के साथ गठबंधन करने को लेकर उत्साह जताया और काम करने की इच्छा जताई है. इधर संयुक्त अकाली दल की कमान संभाल रहे सीनियर अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने अब तक अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है.

Army Helicopter Crash: मृतकों में पंजाब के नायक गुरसेवक सिंह शामिल, CM चरणजीत चन्नी ने जताया दुख

 

इधर बीजेपी आलाकमान कैप्टन अमरिंदर सिंह से ज्यादा अकाली नेताओं को महत्व दे रही है. दरअसल बीजेपी को शहरी मतदाता तो पसंद करते हैं, लेकिन गांवों में उसका जनाधार कम है. जब अकाली दल के साथ बीजेपी का गठबंधन था, तब उसे ग्रामीण मतदाताओं का भी साथ मिल जाता था. दोनों दलों ने मिलकर 3 बार पंजाब में सरकार बनाई. वहीं अभी किसानों का गुस्सा भी शांत नहीं हुआ है, क्योंकि आंदोलन के कारण उन्हें और उनके परिवारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.

 

अरविंद केजरीवाल भी ठोंक रहे ताल

इधर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी पंजाब में लगातार सक्रिय हैं. वे पंजाब के लोगों से कई तरह के वादे कर रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. फ्री बिजली, फ्री स्वास्थ्य, शिक्षा, अध्यापकों के लिए 8 गारंटी, अनुसूचित जाति वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए मुफ्त शिक्षा, महिलाओं को हर महीने 1 हजार रुपए देने जैसे तमाम वादे केजरीवाल ने किए हैं. वहीं पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भी लगातार लोकलुभावने वादे कर रही है. अब पंजाब विधानसभा चुनाव में ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है.