नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन पर आज एक बड़ा फैसला आने की उम्मीद है. केंद्र सरकार की ओर से दोबारा भेजे गए मसौदा प्रस्ताव पर किसानों ने अपनी सहमति जाहिर कर दी है. एसकेएम यानि संयुक्त किसान मोर्चा ने मसौदे पर आधिकारिक पुष्टि मांगकर आंदोलन पर अंतिम फैसला लेने की बात कही है. संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा की गई बैठक में इस बात को भी साफ कर दिया गया है कि आंदोलन समाप्त नहीं किया जाएगा, बल्कि उसे स्थगित किया जाएगा. एमएसपी (minimum support price) पर किसानों की लड़ाई जारी रहेगी.
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किसानों के मुताबिक, सरकार की ओर से इन सभी मांगों पर फॉर्मल लेटर भी जल्द आने की संभावना है, जिसके बाद आज 9 दिसंबर को मोर्चा बैठक कर आगे की रणनीति सबके सामने रखेगा. वहीं अपनी इन मांगों के अलावा किसान लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की भी लगातार मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर इसे लेकर कोई चर्चा नहीं की गई. लेकिन किसान नेताओं के मुताबिक, यह मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है, इसलिए जब तक वहां से फैसला नहीं हो जाता, हम इस पर कुछ नहीं कह सकते. दरअसल सरकार द्वारा दूसरी बार भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार ने किसान आन्दोलन के दौरान हरियाणा, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में हुई FIR को तुरंत प्रभाव से रद्द करने की बात मानी है. वहीं एमएसपी पर बनने वाली कमेटी में भी एसकेएम के प्रतिनिधि होंगे.
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साथ ही इलेक्ट्रीसिटी बिल पर भी SKM (संयुक्त किसान मोर्चा) के प्रतिनिधियों से बात करने के बाद ही सरकार संसद में पेश करेगी. इसके अलावा मुआवजे पर भी सरकार ने किसानों को सहमति दे दी है. दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार की ओर से भेजे गए मसौदा प्रस्ताव पर सहमति बन गई है. सरकर की ओर से इस संबंध में फॉर्मल लेटर मिलने के बाद किसान नेताओं की बैठक होगी, जिसमें आंदोलन को स्थगित करने को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा.
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दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा कृषि कानून वापसी के बाद भी दिल्ली की सीमाओं पर बने रहे और सरकार के सामने कुछ अन्य मांगों को रखा, उनमें सबसे अहम एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी की मांग है. वहीं किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों पर दिल्ली, यूपी और हरियाणा में मुकदमे दर्ज किए गए हैं, (धारा 302 और 307 के केस छोड़कर) उन्हें वापस लेना भी शामिल है. साथ ही आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग भी किसानों ने की है. वहीं बिजली बिल 2020 को रद्द किए जाने की मांग और पराली जलाने पर होने वाली कार्रवाई को रोकने की मांग भी की गई थी. बुधवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान जश्न मनाते दिखाई दिए, वहीं मिठाई भी बांटी गई. बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने इसे अपनी एक बड़ी जीत बताया है. दरअसल इस वर्ष प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की थी और संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया.
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