राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग किया जाता है. इसलिए अब मध्य प्रदेश में भी जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच होगी. मध्य प्रदेश को केंद्र सरकार 5 जीनोम सिक्वेंसिंग मशीनें देगी. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया से मुलाकात की है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने बताया कि अभी जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए रिपोर्ट दिल्ली भेजना पड़ता है. जिसकी रिपोर्ट आने में समय लगता है. लेकिन उनके निवेदन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रदेश को 5 मशीन देने की स्वीकृति दी है. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा और जबलपुर मेडिकल कॉलेज में यह मशीन लगवाई जाएगी. इंदौर और जबलपुर की तर्ज पर भोपाल में भी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल शुरू होगा.
क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग ?
जैसे किसी आदमी का बायोडाटा होता है, उसी तरह से जीनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing) एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है. किसी भी वायरस में डीएनए और आरएनए जैसे कई तत्व होते हैं. जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इनकी जांच की जाती है कि ये वायरस कैसे बना है और इसमें क्या खास बात अलग है. उस खास बात का स्पेस क्या है और पदार्थ के बीच में दूरी किस तरह की है.
सिक्वेंसिंग के जरिए ये समझने की कोशिश की जाती है कि वायरस में म्यूटेशन कहां पर हुआ. अगर म्यूटेशन कोरोना वायरस (Coronavirus) के स्पाइक प्रोटीन में हुआ हो, तो ये ज्यादा संक्रामक होता है जैसा कि ओमीक्रॉन के बारे में कहा जा रहा है. स्पाइक प्रोटीन कोरोना वायरस की कांटेदार संरचना होती है.
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