नई दिल्ली। सरकार द्वारा मंगलवार को संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में आत्महत्या से 11,396 बच्चों (18 वर्ष से कम) की मौत हुई हैं। गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही कि “उपलब्ध जानकारी के अनुसार (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा), पिछले तीन वर्षों के दौरान बच्चों (18 वर्ष से कम) द्वारा की गई आत्महत्याओं की कुल संख्या 2018 में 9431, 2019 में 9613 और 2020 में 11396 थी।”
सरकार ने चालू वर्ष में नाबालिगों द्वारा आत्महत्या के आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए। मंत्री ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने ‘मनोदर्पण’ नाम से एक सक्रिय पहल की है, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण के लिए कोविड के प्रकोप और उसके बाद के दौरान मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए गतिविधियों की एक विस्तृत सीरीज शामिल है।
तमिलनाडु से द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसद टी. आर. परिवेंद्र ने अपने सवाल में सरकार से पूछा था कि क्या पिछले तीन वर्षों में बाल आत्महत्या के मामलों में कोई वृद्धि हुई है।
मंत्री मिश्रा ने बताया कि शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर ‘मनोदर्पण’ के लिए एक वेबपेज बनाया गया है, जिसमें मनोसामाजिक समर्थन के लिए परामर्श, व्यावहारिक सुझाव, पोस्टर, वीडियो, क्या करें और क्या न करें, एफएक्यू और ऑनलाइन क्वेरी सिस्टम शामिल हैं।
इसके अलावा, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने देश भर के स्कूली छात्रों को उनकी चिंताओं को साझा करने में मदद करने के लिए अप्रैल, 2020 में ‘स्कूली बच्चों के लिए एनसीईआरटी परामर्श सेवाएं’ शुरू की हैं। सरकार ने कहा कि यह सेवा देश के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 270 परामर्शदाताओं द्वारा नि:शुल्क प्रदान की जाती है।
मंत्री ने आगे कहा कि आयुष्मान भारत-एचडब्ल्यूसी योजना के तहत व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहत सेवाओं के पैकेज में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी जोड़ा गया है। आयुष्मान भारत के दायरे में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में मानसिक, न्यूरोलॉजिकल और पदार्थ उपयोग विकारों पर परिचालन दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
मिश्रा ने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने निमहंस के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत निमहंस, बैंगलोर में बाल संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक देखभाल के लिए एक राष्ट्रीय पहल और एकीकृत संसाधन केंद्र ने ‘संवाद’ की स्थापना की गई है।