नई दिल्ली। राजस्थान से अपने सपनों को पूरा करने के लिए पोल वॉल्टर देवराज सिंह 2019 में दिल्ली आए, लेकिन सपनों को पूरा करने की कीमत अब उनसे चुकाई नहीं जा रही. दिल्ली से फरीदाबाद जाकर खेल की तैयारी और देर रात सुरक्षा गार्ड की नौकरी करना मुश्किल भरा हो गया है. वहीं देवराज जिस खेल में हाथ आजमा रहे हैं, उसके उपकरण उन्हें मुहैया नहीं कराए जा रहे और न ही कोई स्पोर्ट्स अधिकारी उनकी सुनवाई कर रहा है.

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उनके मुताबिक, स्पोर्ट्स अधिकारियों से कई बार पोल वॉल्ट खेल के उपकरणों को लाने के लिए कहा गया, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है, जिसके कारण उन्हें दिल्ली छोड़ फरीदाबाद जाकर खेल की प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि यदि ऐसा ही चलता रहा, तो उन्हें अपना खेल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा और भविष्य में किसी को भी वह खेलने के लिए प्रोत्साहित भी नहीं कर सकेंगे, क्योंकि हर कोई मुझे देख यही कहेगा कि इतनी मेहनत करने के बाद भी इसे मुकाम हासिल नहीं हुआ है.

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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले 23 वर्षीय देवराज सिंह ने बताया कि 2017-18 में टीवी में पोल वॉल्ट खेल को देखा, जिसके बाद इस खेल के प्रति मेरी रुचि बढ़ी. 2019 में दिल्ली आया और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अपने खेल की प्रैक्टिस शुरू की, कोविड 19 के दौरान तैयारी बिल्कुल नहीं हो सकी, लेकिन जब दोबारा तैयारी करने पहुंचे, तो स्टेडियम में पोल वॉल्ट खेल के उपकरण ही नहीं थे. मैं इतना मजबूर हो चुका हूं कि समझ नहीं आ रहा कि आगे नेशनल लेवल पर कैसे खेलूंगा ? नेशनल में खेलने के लिए 3 महीने तक हर दिन तैयारी करनी पड़ती है, लेकिन जब उपकरण ही नहीं मिलेंगे तो कैसे तैयारी होगी ? जिस वजह से फरीदाबाद जाकर इस खेल की तैयारी करनी पड़ रही है, वो भी एक दिन छोड़ कर जाना पड़ता है, क्योंकि हर दिन मुश्किल हो जाता है.

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देवराज फिलहाल दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी स्थित एक नाले के पास कमरा लेकर किराए पर रहते हैं, जो बेहद छोटा है और उसी क्षेत्र में एक मकान में रात को सुरक्षाकर्मी की नौकरी करते हैं. उन्होंने बताया कि बीते 6 महीने से जवाहरलाल लाल नेहरू स्टेडियम के स्पोर्ट्स अधिकारी उपकरण जल्द लाने को कहते रहते हैं. मेरे अलावा कई अन्य बेहतर खिलाड़ी हैं, जो अपनी तैयारी नहीं कर पा रहे हैं. देवराज राजस्थान से दिल्ली सिर्फ अपने खेल की तैयारी करने के लिए ही आए थे, शुरुआत में माता-पिता ने आर्थिक मदद की, लेकिन अब वो भी करना बंद कर दी है. हालांकि प्रैक्टिस जारी रखने के लिए सुरक्षाकर्मी की नौकरी कर रहे हैं. देवराज के अनुसार, पोल वॉल्ट उत्तरी क्षेत्र में कहीं नहीं खेला जाता है और न ही खेलने के लिए कोई सुविधा है. मध्यप्रदेश हमारे लिए दूर है, इसलिए उधर जाकर तैयारी नहीं कर सकते. वहीं बीते एक साल से घर तक नहीं गया और सो भी नहीं पा रहा हूं. भविष्य में मंगलूर में आगामी खेल होना है. उसके बाद पटियाला भी जाना है, लेकिन तैयारी बिल्कुल नहीं है.